15 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने की संभावना

15 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने की संभावना

नई दिल्ली। 15 दिसंबर से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने के आसार बन रहे हैं। शीतकालीन सत्र के दौरान गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावो के परिणाम भी आने हैं। शीतकालीन सत्र में सरकार को चौतरफा घेरने के लिए कांग्रेस सहित समूचा विपक्ष एकजुट दिखाई दे रहा है।

सूत्रों की माने तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी को मिले जादुई लाभ, राफेल विमान सौदे और पीएम मोदी द्वारा गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान का नाम लेकर पूर्व प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह पर लगाए गए आरोपों पर विपक्ष सरकार को संसद से सड़क तक घेरने की तैयारी कर रहा है।

शीतकालीन सत्र का समय आगे बढ़ाने के निर्णय पर भी विपक्ष सरकार को घेर सकता है। अर्थव्यवस्था की स्थिति, जीडीपी वृद्धि दर और दूसरे आर्थिक मुद्दों पर भी विपक्ष सरकार पर निशाना साध सकती है।

जानकारी के अनुसार, संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने 14 दिसंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। शीतकालीन सत्र में कुल 14 बैठकें होंगी और यह 22 दिन तक चलेगा।

संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि संसद चर्चा का सर्वोच्च स्थान है और सरकार नियमों के तहत किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है. मोदी सरकार गरीब हितैषी सरकार है। विपक्ष को अपनी बात रखनी चाहिए और नियमों के तहत चर्चा करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों से अपील है कि वे महत्वपूर्ण विधेयकों पर उपयोगी और रचनात्मक बहस में सहयोग करें और संसद के दोनो सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से चलना सुनिश्चित करें. इससे पहले संसद सत्र में विलंब को लेकर विपक्ष की तीखी आलोचना झेल रही सरकार ने शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से बुलाने की घोषणा की थी जो 5 जनवरी तक चलेगा।

सत्र के दौरान तीन विधेयक लाये जाने का प्रस्ताव किया गया है जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (राज्य़ों को मुआवजा) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर विधेयक लाने का प्रस्ताव है।

यह अध्यादेश 2 सितंबर 2017 को जारी किया गया था। इसके अलावा ऋण शोधन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर भी विधेयक लाने का प्रस्ताव है. सरकार ने भारतीय वन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 के स्थान पर भी विधेयक लाने का प्रस्ताव किया है।

सरकार का तीन तलाक पर लगी रोक को कानूनी जामा पहनाने के लिए भी विधेयक पेश करने, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने वाले संविधान संशोधन विधेयक पुन: लाने का इरादा है। सत्र के दौरान नागरिकता संशोधन विधेयक 2016, मोटरवाहन संशोधन विधेयक 2016, ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिकार संरक्षण विधेयक को पारित कराने पर भी जोर दिया जा सकता है।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital