14 साल में गरीबी 6.9 करोड़ बच्चों को निगल जाएगी : रिपोर्ट
ब्यूरो । वर्ष 2030 तक दुनियाभर में पांच साल से कम उम्र के 16.7 करोड़ बच्चे गरीबी की चपेट में होंगे। इनमें 6.9 करोड़ बच्चों की मौत भी गरीबी से ही होगी। यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में चिंता जताते हुए कहा कि जिन वजहों से बच्चों की मौत होगी, उन्हें रोका जा सकता है। साथ ही, आशंका जताई कि अगले 14 वर्षों में 75 करोड़ लड़कियां कम उम्र में ब्याह दी जाएंगी। यूनिसेफ ने मंगलवार को बच्चों की स्थिति पर जारी ‘स्टेट आॠफ द वर्ल्ड चिल्ड्रेन’ रिपोर्ट में ये आशंकाएं जाहिर की हैं।
सरकारों से अपील
रिपोर्ट में इस भयावह स्थिति से बचने के लिए दुनियाभर के देशों से बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने को कहा गया है। बच्चों को गरीबी से निजात दिलाकर शिक्षा मुहैया कराने के साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी इस दिशा में प्रयास तेज करने की अपील की गई है। रिपोर्ट में गरीबी उन्मूलन की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा गया है कि हालात पहले से बेहतर हैं। इसके बावजूद बड़ी तादाद में बच्चों का जीवन खतरे में है। इसलिए इस प्रगति को न अच्छा और न ही खराब कहा जा सकता है।
कुपोषण से मौतें
रिपोर्ट के मुताबिक, 1990 से अब तक दुनिया में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर आधी रह गई है। 1990 के मुकाबले बेहद गरीब लोगों की संख्या भी आधी हो गई है। फिर भी पांच साल से कम उम्र के गरीब बच्चों की मौतों का आंकड़ा दोगुना हो गया है, क्योंकि ये ज्यादा कुपोषित होते हैं। रिपोर्ट में अफ्रीका के सब सहारा क्षेत्र के आंकड़े दिए गए हैं। इसमें माध्यमिक तक पढ़ी माताओं के मुकाबले अशिक्षित महिलाओं के बच्चों की मौत का आंकड़ा तीन गुना ज्यादा है।
12 करोड़ बच्चे स्कूल से वंचित
रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की तादाद बढ़ी है। पूरी दुनिया में करीब 12.4 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। इसके अलावा, पांच में से दो बच्चे ऐसे हैं जो प्राथमिक शिक्षा के बावजूद पढ़ना-लिखना या सरल गणित भी नहीं जानते। 129 देशों में प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले लड़के एवं लड़कियों की संख्या बराबर है।
भारत में हालात सुधरे
रिपोर्ट में शिक्षा के क्षेत्र में भारत के प्रयासों की सराहना की गई है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद स्कूलों में दाखिला दर सौ फीसदी तक पहुंच गया है। कहा गया है कि भारत में स्कूल नहीं जाने वाले 6 से 13 साल के बच्चों की संख्या में सुधार हुआ है। 2014 में 80 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते थे, लेकिन अब इनकी संख्या 60 लाख है। 2014 में तीन से छह साल के 7.4 करोड़ बच्चे थे जिनमें दो करोड़ बच्चे प्री स्कूल शिक्षा भी नहीं पा रहे थे। ये बच्चे गरीब और पिछड़े परिवारों के थे।