हिमाचल में कहीं सुखराम न बन जायें बीजेपी के लिए पराजय का कारण

हिमाचल में कहीं सुखराम न बन जायें बीजेपी के लिए पराजय का कारण

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में चुनावो से पहले भारतीय जनता पार्टी ने टेलीकॉम घोटाले के आरोपी सुखराम को पार्टी में एंट्री देकर बैठे बिठाये आफत मोल ले ली है। सूत्रों की माने तो सुखराम और उनके बेटे अनिल शर्मा की बीजेपी में एंट्री को लेकर पार्टी नेताओं की एक राय नहीं हैं।

हालाँकि बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर कहा कि पंडित सुखराम के बेटे अनिल शर्मा का विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी में शामिल होना पार्टी को फायदा देगा। वहीँ सूत्रों की माने तो सुखराम और उनके बेटे के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी के ही कुछ नेता सिद्धांतो की दुहाई देकर इस मामले को आगे बढ़ा रहे हैं।

बताया जाता है कि सुखराम को पार्टी में एंट्री देने से प्रेम कुमार धूमल और शांताकुमार दोनो ही पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से नाराज़ हैं। सम्भवतः यही बड़ा कारण है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बीते दिनों जेपी नड्डा को अपना सन्देश लेकर दोनो नेताओं से मुलाक़ात करने भेजा था। यामिनी परिसर में बंद कमरे में नड्डा और शांता की करीब दो घंटे तक बातचीत हुई।

सूत्रों ने कहा कि बीजेपी नेताओं का मानना है कि सुखराम पर पीवी नरसिम्हा सरकार में टेलीकॉम मंत्री रहते हुए घोटाले के आरोप लगे थे और वे अभी ज़मानत पर चल रहे हैं। सैद्धांतिक रूप से भ्रष्टाचार के आरोपी सुखराम को पार्टी में जगह नहीं मिलनी चाहिए थे।

सूत्रों ने कहा कि बीजेपी नेता अब इस बात को स्वीकारने लगे हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी कांग्रेस के भ्रष्टाचार की बात कैसे उठा सकती है जब भ्रष्टाचार के आरोपी सुखराम स्वयं बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।

कौन हैं सुखराम :

हिमाचल प्रदेश की राजनीति से केंद्रीय मंत्री तक पहुंचे सुखराम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में दूर संचार मंत्री थे। सुखराम का नाम टेलीकॉम घोटाले में उस समय सामने आया जब सीबीआई ने 16 अगस्त को उनके दिल्ली के सफदरजंग स्थित आवास पर छापेमारी की।

सुखराम के घर से 2.45 करोड़ रुपये बरामद हुए थे। इसके अलावा सीबीआई की एक टीम ने सुखराम के हिमाचल के मंडी स्थित बंगले पर भी छापेमारी की थी. टीम को वहां से 1.16 करोड़ रुपये मिले थे. पैसे दो संदूकों और 22 सूटकेस में रखे थे, जिनमें से अधिकांश सूटकेस पूजा वाले घर में रखे हुए थे।

इस मामले में 27 अगस्त को सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुखराम के खिलाफ नया केस दर्ज कर लिया। 19 नवंबर 2011 को टेलीकॉम घोटाले में सीबीआई की अदालत ने उन्हें पांच साल की सजा दी थी. उसी सुखराम का परिवार अब बीजेपी में शामिल हो गया है।

सुखराम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में टेलीकॉम मिनिस्टर थे। सुखराम पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल करते हुए एक निजी फर्म को ठेका दे दिया और इसके बदले में तीन लाख रुपये की रिश्वत ली। इसके अलावा दूसरा बड़ा आरोप दूरसंचार विभाग को तार बेचने के लिए एक निजी कंपनी को ठेका देने का भी है।

ये निजी कंपनी थी हरियाणा टेलीकॉम लिमिटेड (एचटीएल), जिसे पॉलीथीन इन्सुलेटेड जेली फिल्ड (पीआईजेएफ) के 3.5 लाख कंडक्टर किलोमीटर (सीकेएम) केबल देने थे। इसकी कीमत 30 करोड़ रुपये थी। इस मामले की सीबीआई जांच हुई।

कोर्ट ने पाया कि सुखराम ने दोनों ही मामलों में अपने पद का दुरुपयोग किया है और इसके एवज में पैसे खाए हैं। दिल्ली की अदालत ने 2011 में सुखराम को दोषी पाया और पांच साल की सजा दे दी। ये वही वक्त था, जब अन्ना हजारे जंतर मंजर पर भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन कर रहे थे और पूरे देश की निगाह अन्ना के ऊपर लगी हुई थी।

इसके अलावा सुखराम को 2009 में आय से अधिक संपत्ति रखने का भी दोषी पाया गया और उनके खिलाफ 4.25 करोड़ रुपये अवैध तरीके से कमाने के आरोप लगे थे। इतना ही नहीं वर्ष 2002 में सुखराम को तीन साल की सजा हुई थी।

सुखराम ने मंंत्री रहते हुए एक निजी कंपनी को सामान सप्लाई करने का ठेका दिया था, जिसकी वजह से सरकार को 1.66 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इसके अलावा सुखराम पर हैदराबाद की कंपनी एडवांस रेडियो मास्ट्स को भी गलत तरीकों से फायदा पहुंचाने का आरोप लगा था।

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