हालात : ‘बदहाल मार्ग, मुसीबत में मुसाफिर और मौज में जिम्मेदार’

हालात : ‘बदहाल मार्ग, मुसीबत में मुसाफिर और मौज में जिम्मेदार’

ब्यूरो (राम मिश्रा,अमेठी): जिले की सड़कें गड्ढों में समा गईं वाहन बिना हिचकोले के नहीं निकलते कभी एक्सल टूट जाता है तो कभी बाइक फिसल जाती है । सरकारी अफसर या नेता तो भले ही सड़कों के चमाचम होने का दावा करें लेकिन हकीकत तो कुछ और ही है ।

‘मुसाफिरखाना-पारा मार्ग’-

बता दे कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत मुसाफिरखाना से पारा मार्ग तक बनी सड़क जर्जर हो गई है, जिस पर आए दिन राहगीर हादसों के शिकार हो रहे हैं। सड़क गारंटी अवधि में होने के बाद भी ठेकेदार व अफसर मरम्मत कराने की सुध नहीं ले रहे हैं।

मुसाफिरखाना से पारा मार्ग तक 4 करोड़ 60 लाख 66 हजार रुपए की अनुमानित लागत से 5.560 किमी सड़क का 2016 में निर्माण हुआ था। तीन साल से कम समय में ही सड़क पर जगह-जगह गड्ढे चुके हैं। मुसीबत बनी इस सड़क पर कई दर्जन लोग चोटिल भी चुके है ।

“लोकभारत” को ग्रामीणों ने सुनाई व्यथा-

“लोकभारत” की पड़ताल में ग्रामीणों ने बताया कि सड़क जर्जर होने की शिकायत आला अधिकारियो तक की जा चुकी है। इसके बाद भी सड़क का मरम्मत कार्य नहीं हो रहा है। अब सड़क से डामरीकरण भी गायब होने के कगार पर पहुंच चुका है।

‘कहा है मुश्किल’-

विभागीय सूत्रों के मुताबिक किसी भी पीएम सड़क का गारंटी अवधि में मरम्मत नहीं किया गया है, काम कराने के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति भर की जाती है। वहीं अगर जनप्रतिनिधियों का दवाब बना तो जर्जर सड़कों पर डामर गिराकर मरम्मत होना दिखा दिया जाता है जो एक हफ्ते बाद कहीं कार्य होना नजर नहीं आता है। जबकि अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि कार्य स्थल का भौतिक सत्यापन करें लेकिन उन्हें एसी दफ्तरों से निकलने की फुर्सत तक नहीं मिलती ।

”मुसीबत का मार्ग’ बनी जिले की ये सड़कें” –

“नेवादा से थौरी मार्ग”-

इस सड़क पर उखड़ी गिट्टियां दोपहिया वाहन चालकों के लिए मुसीबत बनी हुई हैं। राहगीर आए दिन चोटिल हो जाते हैं ग्रामीण शिकायत करते-करते थक गए लेकिन मार्ग की सुध किसी ने नहीं ली।

धरौली- नया कोट मार्ग –

धरौली- नया कोट मार्ग की हालत काफी खराब हो गई है गहरे गड्ढे उनमेें बरसात के मौसम में जलभराव के कारण राह निकलना तक दूभर हो जाता है। यहाँ की ग्रामीण जनता ने तो खस्ताहाल सड़क को लेकर लोकसभा चुनाव के बहिष्कार तक का ऐलान कर दिया था। हालांकि अधिकारियो के काफी मान मनौवल करने पर वोट डालने पर राजी हुए ।

क्या कहती है अमेठी की जनता-

‘मुसाफिरखाना -पारा मार्ग’ सरीखी सड़कों ने वाहनों की उम्र घटा दी है जनता ने अधिकारियो को कई बार अवगत भी कराया, परंतु कोई हल नहीं निकाला सड़क नहीं बनीं तो क्षेत्र की जनता आंदोलन को बाध्य होगी।

-‘सैय्यद इकबाल हैदर-समाजसेवी’

धरौली-नयाकोट मार्ग’ की मरम्मत कराने के लिए कई बार अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया था लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
-‘यशपाल सिंह – स्थानीय निवासी’

‘नेवादा-थौरी सड़क’ बनने के चन्द महीने बाद से ही सड़क की पर्त उखड़नी शुरू हो गई उखड़ी गिट्टियां और गड्ढे वाहनों को लगातार दुर्घटनाग्रस्त करने का काम करती हैं कई बार अधिकारियो को अवगत कराया गया लेकिन कोई हल नही निकल सका ।
– ‘डीपी सिंह-पूर्व सैन्य अधिकारी’

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital