हाईकोर्ट ने केंद्र को फटकारा, राष्ट्रपति शासन हटाया

हाईकोर्ट ने केंद्र को फटकारा, राष्ट्रपति शासन हटाया

Uttarakhand-High-Court

देहरादून । उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को लेकर चार दिनों से चल रही सुनवाई के दौरान गुरुवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन हटाने का ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। हाईकोर्ट ने 18 मार्च की स्थिति को बरकरार रखते हुए 29 अप्रैल को फ्लोर टेस्ट की तारीख तय कर दी है।

इस फैसले के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत दोबारा सीएम माने जायेंगे। बता दें कि बुधवार को तीसरे दिन की सुनवाई के दौरान केंद्र के अधिवक्ता एडिसनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि यह कोई इस्पेक्टर का आदेश नहीं राष्ट्रपति का आदेश है।

राष्ट्रपति का लंबा अनुभव है, उन्होंने काफी सोच समझकर ही उत्तराखंड में धारा 356 लागू की। जवाब में चीफ जस्टिस केएम जोजफ ने कहा था कि राष्ट्रपति के साथ जज भी गलती कर सकते हैं। भारतीय न्यायपालिका में दोनों के फैसलों को चुनौती दी जा सकती है।

राष्ट्रपति शासन पर हाई कोर्ट की 5 अहम टिप्पणियां

  • यदि कल आप राष्ट्रपति शासन हटा लेते हैं और किसी को भी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर देते हैं, तो यह न्याय का मजाक उड़ाना होगा। क्या केंद्र सरकार कोई प्राइवेट पार्टी है?’
  • ‘भारत में संविधान से ऊपर कोई नहीं है। इस देश में संविधान को सर्वोच्च माना गया है। यह कोई राजा का आदेश नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता है। राष्ट्रपति के आदेश की भी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है… लोगों से गलती हो सकती है, फिर चाहे वह राष्ट्रपति हों या जज।’
  • ‘खरीद-फरोख्त और भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद बहुमत परीक्षण का एकमात्र संवैधानिक रास्ता विधानसभा में शक्ति परीक्षण है, जिसे अब भी आपको करना है’’
  • ‘क्‍या आप लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को नाटकीय ढंग से पांचवें वर्ष में गिरा सकते हैं? राज्‍यपाल ही ऐसे मामलों में फैसले लेता है। वह केंद्र का एजेंट नहीं है। उसने ऐसे मामले में फैसला लेते हुए शक्ति प्रदर्शन के लिए कहा है।’
  • ’28 मार्च को सदन में विश्वासमत हासिल किया जाना था… राज्यपाल ने स्पीकर को इसकी जानकारी दी थी, फिर आपको राष्ट्रपति शासन लगाने की क्या जल्दी थी।’

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TeamDigital