स्वामी और बीजेपी का तलाक होना तय !
नई दिल्ली । भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी को भाजपा ने अभी हाल ही में राज्य सभा का सांसद मनोनीत किया था लेकिन आज जो हालात बने हैं वह बीजेपी की सोच के बिलकुल विपरीत हैं । स्वामी को राज्य सभा भेजे जाने के पीछे बीजेपी का मकसद कांग्रेस को घेरना था लेकिन स्वामी खुद बीजेपी के लिए एक बड़ी मुश्किल बनकर उभरे हैं ।
हाल फिलहाल जो राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है उसने स्वामी के आलोचकों के दावों को सही साबित कर दिया। सूत्रों का कहना है कि स्वामी के तीखे और अपमानजनक टवीट्स के चलते पार्टी के आला नेताओं ने उनसे दूरी बना ली है। साथ ही उनके बयानों पर आरएसएस में भी चर्चा की जा रही है। स्वामी के बयानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाइम्स नाऊ को दिए इंटरव्यू में कड़ी टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा था, ”व्यवस्था से ऊपर किसी को होने का हक नहीं है।” स्वामी के हमलों को शांत करने के प्रयास भी बेनतीजा रहे। इसके चलते अगर भविष्य में भी स्वामी के हमलावर ट्वीट जारी रहते हैं तो भाजपा नेतृत्व उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है। भाजपा स्वामी से पहले ही खुद को दूर कर चुकी है।
भाजपा सूत्रों की माने तो अब पार्टी आलाकमान स्वामी से पीछा छुड़ाने का मन बना रहा है और सम्भावना है कि सुब्रमण्यम स्वामी को जल्द ही बीजेपी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए । पार्टी सूत्रों का कहना है कि स्वामी कभी भी पीएम मोदी को लेकर बड़े हमले कर सकते हैं इसलिए पार्टी आलाकमान ऐसी स्थति पैदा होने से पहले कोई हल निकालना चाहता है । इनमे स्वामी का बीजेपी से निष्कासन भी शामिल है ।
पार्टी सूत्रों के अनुसार आरएसएस ने भी स्वामी को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से असंतोष को सार्वजनिक न करने के लिए दो बार मध्यस्थों को भेजा था। उन्होंने स्वामी से संयम रखने को कहा था लेकिन ऐसा लगता है कि इसका कोई असर नहीं हुआ। स्वामी के बारे में पूछे जाने पर आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्वामी और उनकी गतिविधियों को आरएसएस से नहीं जोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा, ”वे कभी आरएसएस में पद पर नहीं रहे। साथ ही वे हमारी सामाजिक गतिविधियों में भी शामिल नहीं रहे। जो कुछ भी हो रहा है, वह उनके और भाजपा के बीच है।”
स्वामी के पीएम मोदी की चेतावनी को भी नजरअंदाज किए जाने पर एक भाजपा नेता ने बताया, ”स्वामी का मानना है कि पीएम मोदी के बाद वे संघ परिवार के ससबे चहेते नेता हैं। इससे वे अति आत्म विश्वास में हैं। उन्हें वास्तव में लगता है कि वे भारत की आर्थिक समस्याओं को दूर कर सकते हैं और उन्हें मंत्री बनाया जाया जाना चाहिए।”