स्वदेशी आंदोलन: अब कैसे करेंगे चीनी सामान का विरोध ?

स्वदेशी आंदोलन: अब कैसे करेंगे चीनी सामान का विरोध ?

नई दिल्ली। स्वदेशी आंदोलन से जुड़े लोगों का अब तक यह तर्क था कि चीन से भारत आ रहे सस्ते सामान से भारत के कारोबारियों को नुकसान हो रहा है। इसलिए चीन की बनी चीज़ो का बहिष्कार होना चाहिए। यहाँ तक कि दिवाली तो चीन से आयी सजावटी लाइटों का भी विरोध हुआ और कई जगह चीनी सामान बेचने के लिए दुकानों में तोड़फोड़ भी की गयी।

कई लोगों का तर्क था कि चीन पाकिस्तान की मदद कर रहा है, इसलिए चीन के बने किसी भी सामान को भारतीय लोग न खरीदें बल्कि चीनी सामान का बहिष्कार करें। जो स्वदेशी की बात करते थे उनमे से कुछ लोग आज भी चीन का बना मोबाईल इस्तेमाल करते हैं। स्वदेशी के हिमायती रहे बाबा रामदेव का एक ट्वीट उस समय विवादित हो गया था जब फोन से ट्वीट करने के चक्कर में ट्वीट के साथ उनके मोबाईल का नाम भी सार्वजनिक हो गया।

देश में स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ाने वाले लोग कहीं न कहीं बीजेपी या आरएसएस से जुड़े हैं। इस बात से न बीजेपी इंकार कर सकती है और न संघ इसे नकार सकता है।

डोकलाम विवाद के चलते चीन से हमारे रिश्ते कई बार बिगड़े हैं। कई बार चीनी सैनिक भारतीय सीमा में कई मीटर तक घुस आये हैं। संयुक्त राष्ट्र में हाफिज सईद को आतंकवादी करार दिए जाने से रोकने के लिए चीन ने पाकिस्तान के कहने पर एक बार नहीं बल्कि दो बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया और हाफ़िज़ सईद को बचा लिया।

इन सब के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा करते रहे। जानकारी में आया है कि गुजरात में लगाए जाने के लिए बनायीं जा रही सरदार पटेल की प्रतिमा भी चीन में ही बन रही है। एक तरफ चीन भारत को आँखे दिखाता रहा, दूसरी तरफ स्वदेशी आंदोलन से जुड़े लोग चीनी सामान के बहिष्कार की अपील करते रहे। इन सब के बावजूद अब देश में बैंक ऑफ़ चाइना आ रहा है।

ऐसा नहीं है कि बैंक ऑफ चाइना अपनी मर्ज़ी से जबरन इस देश में अपनी शाखा खोलने जा रहा है बल्कि बैंक ऑफ चाइना को भारत में आने की अनुमति दी गयी है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से इसका वादा किया था। पिछले महीने चीन के क्विंगदाओ में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक में यह वादा किया गया था।

सरकार ने ये फैसला उस समय लिया है जब देश के कई बैंक एनपीए को लेकर दुविधा में फंसे हैं। स्टेट बैंक की हाल ही में आयी तिमाही रिपोर्ट में उसका घाटा बढ़ गया है। नीरव मोदी काण्ड के बाद पंजाब नेशनल बैंक का हाल किसी से छिपा नहीं है। कई और बैंको की स्थति डांवाडोल है। यदि ऐसे में कोई विदेशी बैंक भारत में आकर अपने पेर जमायेगा तो ज़ाहिर है कि देश के बैंको के कारोबार पर असर अवश्य पड़ेगा।

फिलहाल सबसे बड़ा प्रश्न स्वदेशी आंदोलन को लेकर है। क्या अब संघ और संघ से जुड़े स्वदेश जागरण मंच का आंदोलन समाप्त हो गया है ? या स्वदेशी जागरण मंच बैंक ऑफ चाइना का उसी तरह विरोध करेगा जैसे उसने चीनी सामान का किया था ? देखना यह भी है कि बाबा रामदेव इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

(राजा ज़ैद द्वारा)

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