सौ फीसदी मतों के साथ राज्‍यसभा में पारित हुआ जीएसटी बिल, समर्थन में पड़े सभी 197 मत

नई दिल्ली । विपक्ष के सहयोग से आज बहु प्रतीक्षित जीएसटी बिल पास हो गया और अब संशोधनों को लेकर मतदान होगा । बिल के समर्थन में सभी 197 मत पड़े तथा किसी भी सदस्य ने इसके खिलाफ मत नही दिया ।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में जीएसटी बिल पेश कर दिया। उन्होंने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि यह बिल अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार। ये किसी भी मामले में राज्यों की प्रभुत्ता का हनन नहीं है बल्कि ये उनकी प्रभुता को और सबल करने वाला है। वित्त मंत्री ने कहा, इस बिल के लिए वित्त मंत्रियों और कमेटी ने सुझाव दिये। पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था होगी तो वस्तुओं के दाम भी एक जैसे होंगे।

उन्होंने कहा इस टैक्स के बाद राज्यों के साथ केंद्र का भी राजस्व बढ़ेगा। बल्कि ये सुनिश्चित करेगा कि टैक्स के ऊपर टैक्स नहीं लगेगा। उन्होंने इस बिल के लिए व्यापक सहमति के लिए सभी का धन्यवाद दिया खास तौर पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद का।

कांग्रेस ने जीएसटी संविधान संशोधन बिल का समर्थन करते हुए इसे राज्यसभा से पारित करा दिया। साथ ही पार्टी ने सरकार से दो टूक कहा है कि जीएसटी में टैक्स की दर 18 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

कांग्रेस ने यह भी कहा कि जीएसटी बिल को फाइनेंस बिल के रूप में पेश किया जाना चाहिए, न कि मनी बिल के रूप में। इसके जवाब में वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस पर संविधान सम्‍मत तरीके से विचार किया जाएगा।

कांग्रेस नेता पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि आम जनता पर ज्यादा परोक्ष कर का बोझ डालने की बजाय सरकार को प्रत्यक्ष कर के जरिए अपनी आमदनी बढ़ानी चाहिए। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि जीएसटी दर ज्यादा तय हुई तो फिर इसके उलटे परिणाम होंगे और कांग्रेस इसका विरोध करेगी।

चिदंबरम ने सरकार को यह नसीहत भी दी कि जीएसटी को लागू करने के लिए इसके बाद शीत सत्र में लाए जाने वाले दोनों विधेयकों में राज्यसभा की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। इसलिए सरकार प्रस्तावित दोनों बिलों को मनी बिल के रूप में लाने की गलती न करे।

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कांग्रेस ने बताई विरोध की वजह :

राज्यसभा में अपनी नई पारी के पहले संबोधन में चिदंबरम ने जीएसटी पर कांग्रेस के अब तक के विरोध को सही साबित करने की कोशिश भी की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जीएसटी के खिलाफ नहीं थी बल्कि कुछ प्रावधानों को लेकर उसका एतराज था। सरकार ने जब राजनीतिक सहमति बनाकर इसमें बदलाव किया है तो पार्टी इसका समर्थन कर रही है।

चिदंबरम ने इस बात पर खुशी जताई कि सरकार ने कांग्रेस की मांग पर एक फीसदी का अतिरिक्त ट्रांजेक्शन टैक्स लगाने का प्रस्ताव वापस ले लिया। वहीं जीएसटी में विवाद के निपटारे को लेकर तंत्र बनाने पर सरकार के अस्पष्ट रुख पर भी चिदंबरम ने उसे नसीहत दी। उनका कहना था कि जीएसटी काउंसिल को विवाद निपटारे के लिए एक स्वतंत्र प्राधिकार बनाने का अधिकार दिया जाना जरूरी है।

क्या महंगा होगा क्या सस्ता :

1. क्या है GST और मुझे क्या मिलेगा:
बता दें कि फिलहाल हम अलग-अलग सामान पर 30 से 35% टैक्स देते हैं। जीएसटी में इन सभी टैक्सेज को एक साथ लाकर 17 या 18% कर दिया जाएगा। इसके बाद सभी राज्यों में सभी सामान एक कीमत पर मिलेगा और टैक्स भी एक ही जैसा होगा। अभी एक ही चीज दो राज्यों में अलग-अलग दाम पर बिकती है, क्योंकि राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगाते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, एडीशनल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडीशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंडी एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्जरी टैक्स खत्म हो जाएंगे।

2. क्या सस्ता होगा:
GST के लागू होने के बाद लेनदेन पर से वैट और सर्विस टैक्स ख़त्म हो जाएगा। ऐसा होने के बाद घर खरीदना पहले के मुकाबले सस्ता हो सकता है। घर खरीदने के अलावा रेस्टोरेंट का बिल भी कम हो जाएगा। बता दें कि फिलहाल वैट हर राज्यों के लिए अलग-अलग और 6% सर्विस टैक्स बिल के 40% हिस्से पर 15% दोनों लगता है। जीएसटी के तहत सिर्फ एक टैक्स लगेगा और ये आपकी जेब के लिए फायदेमंद होगा. कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन, फ्रिज, वाशिंग मशीन सस्ती हागी। फिलहाल 12.5% एक्साइज और 14.5% वैट लगता है। जीएसटी के बाद सिर्फ 18% टैक्स लगेगा। खरीदारी के अलावा माल ढुलाई भी 20% सस्ती होगी जिसका फायदा लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को मिलेगा।

3. क्या होगा महंगा:
चाय-कॉफी, डिब्बाबंद फूड प्रोडक्ट 12% तक महंगे होंगे। बता दें कि इन प्रोडक्ट्स पर अभी तक ड्यूटी नहीं लगती थी जो कि GST के बाद से टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। सर्विसेज पर नज़र डालें तो मोबाइल बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल भी महंगा होने वाला है. फिलहाल सर्विसेस पर 15% टैक्स (14% सर्विस टैक्स, 0.5% स्वच्छ भारत सेस, 0.5% कृषि कल्याण सेस) लगता है। जीएसटी होने पर ये बढ़कर 18% से ज्यादा हो जाएगा। GST आने के बाद MRP पर टैक्स लगने लगेगा जो फिलहाल डिस्काउंट के बाद वाले दम पर लगता है। GST के बाद जेम्स एंड ज्वैलरी महंगी होना तय है क्योंकि इस पर अभी 3% ड्यूटी लगती है जो GST के बाद बढ़कर 17% तक हो जाएगी. रेडिमेड गारमेंट भी महंगे होंगे क्योंकि फ़िलहाल इन पर 4 से 5% वैट लगता है जो GST के बाद 12% हो जाएगा।

4. क्या होगा देश की अर्थव्यवस्था का
महंगाई की मार झेल रहा देश अभी कुछ साल इसे और झेलने वाला है। GST लागु होने के बाद करीब 3 साल तक महंगाई का बढ़ना तय मन जा रहा है। बता दें कि मलेशिया में साल 2015 में जीएसटी आने के बाद से महंगाई दर 2.5% तक बढ़ी है। इसका सीधा सा कारण है कि अभी हम रोजमर्रा की सर्विसेस पर 15% सर्विस टैक्स देते हैं जो GST के बाद अब 18% होगा। हालांकि पेट्रोल-डीजल-गैस जीएसटी में नहीं होंगे। जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर सिर्फ तीन टैक्स वसूले जाएंगे पहला सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी जो केंद्र सरकार वसूलेगी। दूसरा एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी। कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जएगा।

5. टैक्स घटाकर केंद्र और राज्य सरकारों को क्या मिलेगा:
गौरतलब है कि फिलहाल हम अलग-अलग ज़रियों से 30-35% टैक्स चुकाते हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि टैक्स को घटाकर 18% करने से सरकार खर्चा कैसे चलाएगी और इसका क्या फायदा है। इसका जवाब चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमणियन की समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट में दे चुकी है। बता दें कि फिलहाल टैक्स का क्षेत्र इतना असंगठित है कि किसी चीज़ पर बिलकुल टैक्स नहीं लगता तो किसी पर 35% लगता है।

GST से फिलहाल न सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा और न ही घटेगा हालांकि कई सारी चीज़ों पर टैक्स बढ़ जाएगा। समिति के मुताबिक अभी बहुत से कारोबारी सेल्स नहीं दिखाते हैं जबकि GST में हर लेन-देन की ऑनलाइन एंट्री होगी जिससे टैक्स चोरी पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा। बता दें कि राज्यों को इससे कुछ नुकसान झेलना पड़ सकता है लेकिन उनको जितना नुकसान होगा तीन साल तक उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। चौथे साल 75 फीसदी और पांचवें साल 50 फीसदी नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। केंद्र सरकार राज्यों को भरपाई की गारंटी देने के लिए इसके लिए संविधान में भी व्यवस्था करने पर भी तैयार हो गई है।

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