सोहराबुद्दीन फ़र्ज़ी मुठभेड़: हाईकोर्ट ने सीबीआई से मांगा बरी किए गए पुलिस अफसरों का ब्यौरा
मुंबई। सोहराबुद्दीन फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में हाईकोर्ट ने बरी किये गए पुलिस अफसरों का व्यौरा तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि चार्जशीट में उनकी क्या भूमिका थी।
हाईकोर्ट में बरी किए गए पुलिस अफसरों के खिलाफ याचिका दायर की गई है जिस पर मुंबई हाईकोर्ट ने यह सीबीआई से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि वह शेख के भाई की याचिका पर नौ फरवरी से दिन प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई करेगी। उन लोगों का पूरा चार्ट दिया जाए जिन्हें बरी किए जाने के बारे में चुनौती दी गई है। यह भी बताया जाए कि सीबीआई ने चार्जशीट में उनके खिलाफ क्या धाराएं लगाई थीं।
सीबीआई ने कोर्ट से तीन हफ्ते का समय मांगा तो कोर्ट ने पूछा कि जांच एजेंसी मामले में जल्द सुनवाई क्यों नहीं करना चाहती, जबकि शेख के एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि मामले में कई गवाह पक्षद्रोही हो चुके हैं।
शेख के भाई ने पुनरीक्षण अर्जी में अगस्त 2016 और 2017 के दौरान ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें आईपीएस रिटायर्ड डीजी वंजारा, राजकुमार पांडियान और एमएन दिनेश को बरी कर दिया गया था। ट्रायल कोर्ट ने इस दौरान चार्जशीट के 38 लोगों में से 15 को बरी कर दिया था।
बरी किए लोगों में आईपीएस एन के अमीन समेत गुजरात पुलिस के कई अफसर और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हैं। जांच एजेंसी सीबीआई ने केवल बरी किए अमीन और पुलिस कांस्टेबिल दलपत सिंह राठौड़ के खिलाफ अपील की है। सीबीआई की विशेष अदालत ने पुलिस अफसरों को केवल इस आधार पर बरी कर दिया कि उनके खिलाफ जरूरी पूर्व मंजूरी नहीं ली जा सकी।
इससे पूर्व सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई से सवाल किया था क्या केवल मंजूरी नहीं लिया जाना बरी किए जाने का पर्याप्त कारण माना जा सकता है और सीबीआई ने इसके खिलाफ अपील क्यों नहीं की। आरोप है कि सोहराबुद्दीन को 2005 में फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया था जिस पर कई सवाल खड़े किए गए।