सोनिया ने ढूंढ लिया आरएसएस का तोड़, संघ के स्वयंसेवको के लिए तैयार होंगे कांग्रेस के प्रेरक
नई दिल्ली। वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) द्वारा बीजेपी के लिए अदा की गयी बड़ी भूमिका से बीजेपी फर्श से अर्श तक पहुँच गयी। वहीँ ज़मीन पर कार्यकर्ताओं की तादाद लगातार कम होने के कारण कांग्रेस को बड़ा झटका लगा और उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने भाषणों में आरएसएस की मुखालफत अवश्य की लेकिन वे आरएसएस का कोई तोड़ ढूंढ पाने में असमर्थ रहे। राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते कांग्रेस के संघ विरोधी चेहरे कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह, पी चिदबंरम, मणिशंकर अय्यर जैसे बड़े नेता हाशिये पर चले गए।
राहुल के अध्यक्ष रहते कांग्रेस यह नहीं तय कर सकी कि उसे बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ क्या रुख अपनाना है। राहुल के नेतृत्व में लड़े गए कई चुनावो में कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व को पकड़ने के चक्कर में अपनी उस पहचान से दूर चली गयी जो उसे दशकों तक सत्ता दिलाती रही थीं।
सोनिया गांधी के पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस अब धीमे धीमे पुरानी लय में वापसी कर रही है। गुरूवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, विधानमंडल दल के नेताओं, प्रदेश अध्यक्षों और पार्टी के प्रभारी महासचिवों की बैठक में कांग्रेस को एक बार फिर से खड़ा करने के लिए गहन चर्चा की।
बैठक में तय हुआ कि चुनिंदा कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक समूह तैयार किया जाएगा। जिन्हे रेगुलर तौर पर ट्रेनिंग दी जायेगी। इन कार्यकर्ताओं के समूह को प्रेरक कहा जाएगा।
इन कार्यकर्ताओं को मुद्दों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। प्रेरको का समूह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अधीन कार्य करेगा। इसे कांग्रेस के वे भरोसेमंद नेता अपना नेतृत्व देंगे जो शुरू से पार्टी के वफादार रहे हैं और जिनके दामन पर पार्टी विरोधी या गुंटबन्दी को बढ़ावा देने का कोई दाग नहीं है।
पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस पूरे मसौदे को अपनी मंजूरी दे दी है। हालाँकि पार्टी के कुछ नेताओं की राय थी कि इसमें प्रेरक शब्द की जगह कोर्डिनेटर या सहयोगी शब्द का इस्तेमाल हो। इस पर बाद में चर्चा होगी।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक तीन राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावो को ध्यान में रखकर महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में जल्द ही प्रेरको का चयन शुरू हो जायेगा।
जानकारों की माने तो कभी संघ के स्वयं सेवको को कांग्रेस सेवादल के स्वयंसेवक बड़ी चुनौती दिया करते थे लेकिन राहुल गांधी के कार्यकाल के दौरान ही कांग्रेस सेवादल की धार धीमे धीमे समाप्त हो गयी। ऐसे में कांग्रेस का प्रेरक न्युक्त करने का विचार एक दूरगामी फैसला साबित हो एकता है।