सीएमआईई के आंकड़े: चार महीनों में चली गई 15 लाख नौकरियां
नई दिल्ली। रोज़गार देने के मामले में फेल हुई नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में 8 नवंबर 2016 को नोट बंदी का एलान किया था। सरकार भले ही नोटबंदी को अपनी उपलब्धि बता कर पीठ थपथपा रही हो लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि देश में नोट बंदी लागू होने के कुछ ही महीनो के अंदर करीब 15 लाख लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी किए गये जनवरी-अप्रैल 2017 तक के आंकड़ों के अनुसार इन चार महीनों में करीब 15 लाख नौकरियां चली गईं। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 – 2017 में सभी सेक्टरों में नौकरियों में कमी दर्ज की गयी है। सीएमआईई का आंकड़ा अखिल भारतीय हाउसहोल्ड सर्वे पर आधारित है जिसमें पूरे देश के 161167 घरों के 519285 वयस्कों का सर्वे किया गया था।
भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के रोजगार सर्वे के आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि देश में नोट बंदी लागू होने के बाद से नौकरियों में कमी आई है। वहीँ सीएमआईई के अनुमान के मुताबिक जनवरी-अप्रैल 2017 के दौरान कुल 40.50 करोड़ नौकरी पेशा लोग थे जबकि उससे पहले के चार महीनों में ये संख्या 40.65 करोड़ थी।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार लोगों को रोजगार लायक बनाने के लिए चलाई गई इस विशेष योजना पीएमकेवीवाई के जुलाई 2017 के पहले हफ्ते के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में केवल 30.67 लाख लोगों को इस योजना के तहत प्रशिक्षण दिया गया लेकिन उनमें से करीब 10 प्रतिशत (2.9 लाख) को ही नौकरी मिली।
वहीँ आईटी और फाइनेंस को छोड़कर अन्य सेक्टरों की 121 कंपनियों में नोटबंदी के बाद रोजगार में कमी आयी है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध 107 कंपनियों में एक साल में कर्मचारियों की संख्या में 14,668 की कमी आयी।