सातवें बेतन आयोग को लेकर मोदी सरकार से नाराज़ 33 लाख कर्मचारी 11 जुलाई को करेंगे हड़ताल
नई दिल्ली । केंद्र सरकार की ओर से सातवें वेतन आयोग की घोषणाओं से नाखुश 33 लाख कर्मचारियों ने 11 जुलाई को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। ये केंद्रीय कर्मचारी सातवें वेतन आयोग के तहत होने वाली बढ़ोत्तरी से खुश नहीं हैं।
ऑल इंडिया रेलवे पुरुष फैडरेशन के महासचिव और राष्ट्रीय संयुक्त कार्रवाई परिषद(एनजेएसी) शिवगोपाल मिश्रा ने बताया, ”सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन 18000 किया गया है। पिछले वेतन आयोग में बेसिक सैलेरी 7000 रुपये है। उन्होंने इसे लगभग ढाई गुना कर 18000 रुपये कर दिया। हम 3.68 प्रतिशत फिटमेंट फार्मूला की मांग करते हैं।”
एनजेएसी में छह सरकारी कर्मचारियों की यूनियन शामिल हैं। ये सभी यूनियन सातवें वेतन आयोग में की गई बढ़ोत्तरियों से खुश नही हैं। केंद्रीय सरकार कर्मचारी संघ के अध्यक्ष केकेएन कुट्टी ने कहा, ”यदि इस निर्णय पर पुनर्विचार का आश्वासन नहीं मिला तो हम 33 लाख सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे।
न्यूनतम वेतन पर सबसे बड़ी तकरार है और हम इसे 26 हजार रुपये प्रति महीना करने की मांग करते हैं। शिवगोपाल मिश्रा ने बताया कि उन्होंने वित्त मंत्री, गृह मंत्री और रेल मंत्री से 30 जून को मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि इस पर विचार किया जाएगा और कमिटी को जिम्मा दिया जाएगा।
कुट्टी के अनुसार अभी तक सरकार ने केवल मौखिक रूप से ही हामी भरी है। अगर बता दिया जाए कि किस कमिटी को जिम्मेदारी दी जाएगी तो हड़ताल टाल दी जाएगी। हड़ताल पर अंतिम फैसले के लिए 5 जुलाई को बैठक की जाएगी। ऑल इंडिया डिफेंस एंप्लॉयीज फैडरेशन के महासचिव सी श्रीकुमार ने बताया कि सातवें वेतन आयोग में खाने-पीने की कई चीजों की गलत कीमतें दर्ज की गई हैं। इसके चलते न्यूनतम सैलेरी कम बढ़ाई गई है।
दाल की कीमत 97 रुपये प्रति किलो मानी गई है। बाजार में 97 रुपये प्रति किलो में दाल कहां मिलती है। आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर असंतुष्टि जाहिर की है। उनका कहना है कि न्यूनतम और अधिकतम वेतन के बीच काफी फासला है। –