सरदार पटेल की प्रतिमा निर्माण में लग रहा सरकारी तेल कंपनियों का पैसा, कैग ने उठाये सवाल

सरदार पटेल की प्रतिमा निर्माण में लग रहा सरकारी तेल कंपनियों का पैसा, कैग ने उठाये सवाल

नई दिल्ली। गुजरात में स्टैचू ऑफ़ यूनिटी के नाम पर सरदार बल्ल्भभाई पटेल की आदमकद प्रतिमा के निर्माण में भारत सरकार की तेल कंपनियों का पैसा लगाया जा रहा है। इसका खुलासा उस समय हुआ जब कैग (कंपट्रोलर और ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया) ने सरकार से इस पर सवाल उठाया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के नाम पर बन रही सरदार पटेल की प्रतिमा में करीब 3हज़ार करोड़ रुपये की लागत आ रही है। सीएजी के मुताबिक ओएनजीसी, ऑयल इंडिया लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल ने यह रकम अपने कॉरपोरेट सोशल रेसपॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत खर्च की है।

वहीँ दूसरी तरफ सरकार की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि सरदार बल्ल्भ भाई पटेल को लोहपुरुष कहा जाता है इसलिए यह प्रतिमा लोहे की बनाई जा रही है और इस आदमकद प्रतिमा के निर्माण के लिए देशभर से लोहा इक्क्ठा किया जा रहा है।

इस प्रतिमा को लेकर जारी किये गए विज्ञापन में भी यह दावा किया गया है कि इस प्रतिमा के निर्माण के लिए देशभर से लोहे के बने यंत्र (कुंदाल, फाबड़े) गुजरात भेजे जा रहे हैं। जिन्हे गलाकर सरदार पटेल की प्रतिमा के निर्माण में इस्तेमाल किया जायेगा।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि देशभर के किसानों से अभीतक 1 लाख 69 हजार लोहे के उपकरण एकत्र कर लिए गए हैं। इसके बावजूद सरकारी तेल कंपनियों का 3000 करोड़ इस मूर्ति में खर्च होना कैग के गले नहीं उतर रहा।

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक ओएनजीसी ने 50 करोड़ रुपये, इंडियन ऑयल ने 21.83 करोड़ रुपये, बीपीसीएल, एचपीसीएल और ओआईएल ने 25 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान इस प्रतिमा पर अपने सीएसआर फंड से योगदान किया है।

गौरतलब है कि 182 मीटर ऊँची सरदार पटेल की निर्माणाधीन प्रतिमा में 2989 करोड़ रुपये का खर्च बताया गया है। इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 2,063 करोड़ रुपये का बजट आंका गया था लेकिन अक्टूबर 2014 में पड़े टेंडर के बाद लार्सन और टूब्रो को 2,989 करोड़ रुपये में प्रतिमा के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई।

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