सरकार ने किया खुलासा, ये खबर फर्जी थी

सरकार ने किया खुलासा, ये खबर फर्जी थी

नई दिल्ली। पिछले दिनों आधार कार्ड के इस्तेमाल को लेकर कई ख़बरें मीडिया में आयीं। इनमे एक खबर प्रॉपर्टी रिकॉर्ड को आधार कार्ड से जोड़ने की थी। इस खबर में कहा गया था कि सरकार ने प्रॉपर्टी रिकॉर्ड को आधार कार्ड से जोड़ना ज़रूरी कर दिया है।

भारत सरकार के सुचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने इस भ्रामक खबर का खंडन किया है। पीआईबी का कहना है कि सरकार की ओर से इस तरह का कोई भी आदेश जारी नहीं किया गया है। प्रापर्टी रिकॉर्ड्स को आधार से लिंक करने की खबर पूरी तरह से फर्जी है। यह खबर इतनी तेजी से फैली की सरकार को खुद आगे आकर इसे खारिज करना पड़ा।

प्रेस सूचना कार्यालय (PIB) के डॉयरेक्टर जनरल ने इस तरह की खबर सामने आने के बाद इसे फर्जी करार दिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- केंद्रीय सचिवालय की ओर से जारी बताए जा रहे जिस पत्र में भूमि अभिलेखों (जमीन रिकॉर्ड्स) को आधार कार्ड से जोड़ने की बात कही जा रही है वो पूरी तरह से फर्जी और शरारत भरा है। इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई और मामले की जांच की जा रही है। पीआईबी इंडिया की ओर से भी इस संबंध में सफाई जारी की गई है।

ये थी फर्जी खबर :
खबर थी कि सरकार ने 1950 के बाद सभी प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है। इसके संबंध में एक पत्र भी जारी किया गया था। पत्र में दावा किया गया था कि केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ सेक्रेटरी, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को 14 अगस्त तक साल 1950 के बाद के सभी लैंड रिकॉर्ड्स का डिजटिलीकरण, उत्परिवर्तन रिकॉर्ड्स, जमीन समेत अचल संपत्ति बेचने और खरीदने की जानकारी का डिजिटलीकरण करने के लिए कहा है। पत्र में आगे कहा गया है कि जिन प्रापर्टियों को तय समय तक आधार से लिंक नहीं किया जाएगा उन्हें बेनामी संपत्ति मानते हुए जब्त कर लिया जाएगा।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital