सपा-बसपा ने बिछाया था अमेठी में राहुल को हराने का जाल !
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पराजय की जांच के लिए न्युक्त की गयी दो सदस्यीय टीम ने अमेठी में कार्यकर्ताओं, पदाधिकरियों के अलावा क्षेत्रीय जनता से पूरी पड़ताल की।
सूत्रों के मुताबिक जांच में सामने आया कि अमेठी में कांग्रेस की पराजय का बड़ा कारण भीतराघात और सपा बसपा का वोट बीजेपी के साथ जाना ही था। गौरतलब है कि अमेठी में कांग्रेस की पराजय के कारणों का अध्यन करने के लिए दो सदस्यीय जांच समिति बनाई गयी थी। इसमें कांग्रेस सचिव जुबेर खान और के. एल. शर्मा शामिल थे।
सूत्रों के मुताबिक जांच टीम के समक्ष खुलासा हुआ कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हारने के षड्यंत्र में सपा-बसपा के अलावा कांग्रेस के दो नेता जो लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी में शामिल हो गए, शामिल थे।
सूत्रों ने कहा कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी आलाकमान ने अंदरूनी तौर पर अपना वोट कांग्रेस को न जाने देने के निर्देश दिए थे। यही कारण था कि गौरीगंज से सपा विधायक राकेश सिंह, सपा के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के पुत्र अनिल प्रजापति तथा बसपा नेताओं को खुलेआम बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी का प्रचार करते देखा गया।
इतना ही नहीं बसपा द्वारा अमेठी में अपना उम्मीदवार न खड़ा करने के एलान के बावजूद बसपा पदाधिकरियों ने पर्दे के पीछे से बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी के समर्थन में सभाओं का आयोजन भी कराया।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस के एक पूर्व सांसद ने भी अमेठी में परदे के पीछे से कांग्रेस की पराजय के लिए पूरी ताकत लगाई। जिन जगहों पर कांग्रेस मजबूत थी वहां बीजेपी को घुसाने का काम किया गया।
सूत्रों ने कहा कि जांच करने गयी दो सदस्यीय कांग्रेस टीम को कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने बताया कि राहुल गांधी को हारने में पार्टी के अपनों की भी बड़ी भूमिका थी।
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अमेठी और रायबरेली में अपने उम्मीदवार न खड़े करने और कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन का एलान किया था। इसके बावजूद सपा बसपा ने कांग्रेस को सहयोग नहीं दिया बल्कि बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी का समर्थन किया।
स्थानीय लोगों ने जांच दल को बताया कि अमेठी में भीतराघात की दास्ताँ यहीं समाप्त नहीं होती। चुनाव प्रचार थमने के बाद बूथ मैनेजमेंट में भी सपा और बसपा नेताओं ने बीजेपी की मदद की।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की 55 हज़ार वोटो के बड़े अंतर् से हार हुई थी। अमेठी की जिन चार विधानसभाओं में राहुल गांधी को पराजय का सामना करना पड़ा उनमे गौरीगंज विधानसभा में वे सर्वाधिक 18000 वोटों से पीछे रहे। गौरीगंज में समाजवादी पार्टी का विधायक होने के बावजूद इतने बड़े अंतर् से कांग्रेस का पिछड़ना बहुत कुछ इशारा कर देता है।