शिवराज सरकार में साधू – संतो को मंत्री पद, शुरू हुई रार, कोर्ट तक पहुंचा मामला
भोपाल ब्यूरो। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार द्वारा पांच साधु-संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने का मामला गरमा गया है। सीएम शिवराज के फैसले से नाराज़ एक पत्रकार ने इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।
इंदौर के एक स्थानीय पत्रकार रामबहादुर वर्मा ने शिवराज सरकार द्वारा साधु संतो को केबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता के वकील गौतम गुप्ता ने बताया कि याचिका में इस बात का हवाला दिया गया है कि संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने की संवैधानिक वैधता क्या है तथा बड़ा सवाल उठाया गया है कि क्या मंत्री का दर्जा प्राप्त साधु संत इस पद के योग्य है ?
इसके अलावा राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने वाले पांच संतों में से दो के शिवराज सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का जिक्र भी याचिका में किया गया है। वकील गौतम गुप्ता ने कहा कि सरकार का यह कदम विरोध को दबाने जैसा है।
वहीं मध्य प्रदेश के प्रत्येक नागरिक पर करीब 13 हजार 800 रुपए के कर्जे का हवाला देते हुए कहा गया है कि सरकार के नए फैसले का बोझ भी आम करदाताओं पर ही आएगा।
गौरतलब है कि पिछले साल करीब छह करोड़ पौधे लगाने के दावे को महाघोटाला करार देकर ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने का ऐलान करने वाले पांच बाबाओं को एमपी की शिवराज सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा से नवाजा है।
जिन पांच संतो को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है उनमे से एक कंप्यूटर बाबा सरकार के खिलाफ ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने वाले थे, लेकिन सरकार के राज्यमंत्री बनाते ही उनके सुर बदल गए हैं।
कंप्यूटर बाबा ने कुछ समय पहले पोस्टर जारी कर नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था। यह यात्रा 1 अप्रैल से 15 मई तक प्रदेश भर में निकाली जानी थी लेकिन अब उनका कहना है कि घोटाले की बात का कोई सवाल नहीं उठता, हम जनजागरण करेंगे।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबाजी, भय्यूजी महाराज और योगेंद्र महंतजी को राज्य सरकार में राज्यमंत्री स्तर का दर्जा प्रदान किया है।