शरद यादव को मिला विपक्ष का साथ, राहुल बोले “RSS कहती है ‘ये देश हमारा है, तुम इसके नहीं हो’
नई दिल्ली। जदयू के नेता शरद यादव द्वारा आज दिल्ली में आयोजित साझी विरासत बचाओ सम्मेलन में विपक्ष के कई दिग्गज नेता शामिल हुए। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस और मोदी सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा, तब तक तिरंगे को सलामी नहीं दी जब तक सत्ता में नहीं आए।
आरएसएस कहती है, ये देश हमारा है, तुम इसके नहीं हो। गुजरात में दलितों की पिटाई की और कहा ये देश हमारा है। तुम इसके नहीं हो। आरएसएस जानती है कि उनकी विचारधारा से चुनाव नहीं जीत सकती है, इसलिए वो अपने लोग हर संस्थान में रखने लगी है।
उन्होंने कहा, युवा काम करना चाहता है, लेकिन मोदी सरकार रोजगार के नाम पर झूठ बोल रही है। मेक इन इंडिया का वादा करने वाले मेड इन चाइना पर फोकस कर रहे हैँ।
इस सम्मेलन में रामगोपाल यादव, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, प्रकाश अंबेडकर, सुधाकर रेड्डी, डी राजा, जयंत चौधरी शामिल होने पहुंचे। बाबूलाल मरांडी व फारुख अब्दुल्ला भी सम्मेलन में पहुंचे हैं।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, असली जदयू शरद यादव की है, नीतीश जी को तो बीजेपी है। उन्होंने कहा कि शरद यादव के नेतृत्व वाला धड़ा ही ‘असली’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ जनता दल (युनाइटेड) है, जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला धड़ा पूरी तरह से भाजपा से मिला हुआ है।
आजाद ने शरद यादव की ओर से बुलाए गए ‘साझा संस्कृति बचाओ’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए जद (यू) के वरिष्ठ बगावती नेता को धर्मनिरपेक्षता का मार्ग चुनने और नीतीश कुमार से अलग राह बनाने के लिए बधाई दी।
आजाद ने कहा, “शरद यादव के नेतृत्व वाला धड़ा ही असली है, जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला धड़ा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का जद (यू) है।” उन्होंने कहा, “हमें बिहार में अब जद (यू) का विकास नहीं दिख रहा, क्योंकि यह पूरी तरह से भाजपा में मिल चुका है।”
आजाद ने शरद यादव की भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में जगह स्वीकार नहीं करने के फैसले की भी सराहना की। आजाद ने कहा, “वह (शरद यादव) अपने सिद्धांतों पर अड़े रहे और उन्होंने मंत्रिमंडल में पेश किए गए पद को स्वीकार नहीं किया।”
यादव ने देश के साझा विरासत को बचाने के उद्देश्य से इस सम्मेलन का आयोजन किया है। भाजपा के विरोधी कांग्रेस, वाम दल, समाजवादी पार्टी, बसपा, तणमूल कांग्रेस और दूसरे दलों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। यादव के इस कार्यक्रम को अपनी पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार के भाजपा के साथ गठबंधन करने के फैसले के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
साझा विरासत के संविधान की आत्मा होने की बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी बैठकों का आयोजन देश भर में किया जायेगा। बिहार के मुख्यमंत्री के भाजपा के साथ गठजोड़ किये जाने के फैसले पर अपनी असहमति से जुड़े सवालों पर जवाब देने से इनकार करते हुए जदयू के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इस आयोजन के लिये फैसला हफ्तों पहले लिया गया जब उनकी पार्टी कमजोर विपक्षी समूह का हिस्सा थी। उन्होंने कहा कि साझा विरासत बचाओ सम्मेलन किसी के खिलाफ नहीं बल्कि देशहित में है। यह देश के 125 करोड़ लोगों के हित में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धर्म के नाम पर हिंसा के खिलाफ बयान का समर्थन करते हुए शरद यादव ने कहा कि यह जमीन पर नजर नहीं आता और मोदी को अपनी पार्टी की सरकारों को यह बताने की जरूरत है कि वह उनके आदेशों का पालन करें।