शबीना की दास्ताँ: “हम शिक्षा और संस्कारों के चौकीदार, हम पर ही है आर्थिक तंगी की मार”
ब्यूरो (राम मिश्रा, अमेठी)। सरकारी महकमों के बीमार सिस्टम और सरकार की बेरुखी ने शबीना खातून को झकझोर कर रख दिया है। नई पीढ़ी को शिक्षा देने की ज़िम्मेदारी कंधो पर है लेकिन जेब खाली है। ऐसे में आजीविका की समस्या होना लाजमी है। हमारे प्रतिनिधि राम मिश्रा ने उत्तर प्रदेश सरकार के सुस्त सिस्टम की मार झेल रही शबीना खातून के दर्द को करीब से समझने की कोशिश की।
शबीना कहती हैं कि “शिक्षा और संस्कारों के चौकीदार तो हम लोग हैं लेकिन हमें नियुक्ति के तीन वर्षो से वेतन नहीं मिला है, ऐसा लगता कि हमारे वेतन भुगतान की अलग साइकिल है, इसलिए वर्ष 2016 से हमे वेतन नहीं मिला,आज भी हम वेतन के इंतजार में है। लग रहा है जैसे बिगत तीन वर्षों की तरह इस वर्ष भी ईद बिना वेतन की मनाएंगे और रही हमारे विभाग के अधिकारियो की बात तो,वो हमारी सुनते ही नहीं ये दर्दनाक दास्तां है।”
ये दास्ताँ अमेठी के एक प्राइमरी स्कूल में बतौर सहायक शिक्षिका न्युक्ति हुई शबीना खातून की – जिसे तीन वर्षो से वेतन नहीं मिलने के कारण आज वह आर्थिक तंगी व बदहाली के कगार पर है शाबीना ने अपनी इस बदहाली के लिए सीधे तौर पर विभागीय अधिकारियो को जिम्मेदार ठहराया है ।
नियुक्ति के तीन वर्षों बाद भी नही हो पाया सत्यापन :
बता दे कि अमेठी जिले के मुसाफिरखाना विकासखण्ड के मॉडल प्राइमरी स्कूल पूरे परवानी में शबीना खातून 16 मार्च वर्ष 2016 से बतौर सहायक अध्यापिका नियुक्ति है।
शबीना ने हमारे प्रतिनिधि अमेठी राम मिश्रा को बताया कि इस प्राइमरी स्कूल में नियुक्ति के तीन वर्ष बाद भी न तो उनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों व अभिलेखों का सत्यापन कराया और न ही उन्हें कभी वेतन मिला ।
सब ने सिर्फ यही कहा- सब्र रखिए शबीना :
इस बाबत खातून ने कई बार अपने अधिकारियो से गुहार भी लगाई लेकिन किसी भी जिम्मेदार के कान जू तक नही रेंगी सब सब्र रखने की बात कहते रहे रूआँसू हुई शिक्षिका शबीना ने बताया कि वह मूलतः कानपुर की रहने वाली है और और अपने तीन छोटे बच्चों के साथ यहाँ किराए के मकान में रहती है और ज्वाइनिंग के बाद से ही उन्होंने कभी वेतन का मुँह नही देखा अब हालात ये है कि वेतन नहीं मिलने से तीन छोटे बच्चों के पालन पोषण व परिवार चलाना मुश्किल हो गया है ।
स्कूल के बच्चों से है लगाव :
शबीना खातून ने बताया कि उन्होंने शिक्षण का कार्य आज भी ईमानदारी और नियमित तौर पर जारी रखा है उन्हें स्कूल के बच्चों से खासा लगाव हो गया है उन्हें आशा है कि विभाग के किसी जिम्मेदार अधिकारी को एक दिन जरूर उनकी समस्या का अहसास होगा ।
मामला चाहे जो भी लेकिन शबीना खातून की इस मामले ने यूपी के अमेठी जिले में शिक्षा विभाग के कार्य प्रणाली की कलई खोल दी है ।
क्या कहते हैं जिम्मेदार :
मामला संज्ञान में नही है यदि सत्यापन नही हुआ होगा तो संबंधित संस्था में व्यक्तिगत वाहक भेजकर सत्यापन मंगवायेंगे और वेतन सम्बंधी समस्या का हल जून तक हो जायेगा ।