शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आज़ाद, वरुण गांधी बनेगे 2019 के ट्रंपकार्ड !
नई दिल्ली(राजाज़ैद)। गल्फ न्यूज़ में प्रकाशित एक रिपोर्ट को सच माने तो वरुण गांधी 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकिट पर नहीं लड़ेंगे।
वहीँ शत्रुघ्न सिन्हा पहले ही कई बार दोहरा चुके हैं कि वे अगला चुनाव पटना से ही लड़ेंगे लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि पार्टी बीजेपी ही हो। कीर्ति आज़ाद बीजेपी से पहले ही निष्कासित किये जा चुके हैं और कीर्ति आज़ाद का तय है कि वह अगला चुनाव बीजेपी के टिकिट पर नहीं लड़ेंगे।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी अगला लोकसभा चुनाव न लड़ने की इच्छा ज़ाहिर कर चुकी हैं। ऐसे में ये अनुमान लगाना अभी मुश्किल है कि 2019 के चुनाव से पहले धीमे धीमे पार्टी से दूर हो रहे बीजेपी नेताओं की तादाद कितनी हो जाएगी।
फिलहाल यह कहा जा रहा है कि बीजेपी के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा आम आदमी पार्टी के सम्पर्क में हैं। कई मौको पर उन्हें आम आदमी पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेते देखा गया है। पिछले एक वर्ष के अंदर शत्रुघ्न सिन्हा और आप के बीच नजदीकियां बढ़ीं हैं।
कीर्ति आज़ाद की पत्नी पहले ही बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो चुकी हैं। इसलिए ऐसे कयास लगना लाज़मी है कि कीर्ति आज़ाद भी एन चुनाव के समय आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
हालाँकि चुनावी जानकारों का कहना इससे बिल्कुल अलग है। चुनावी जानकारों की माने तो अभी बिहार में आम आदमी पार्टी का संगठन बहुत मजबूत नहीं है। इसलिए यदि शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आज़ाद बिहार की अपनी सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो आम आदमी पार्टी उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो सकती है।
यह अलग बात है कि आम आदमी पार्टी शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आज़ाद को बिहार की जगह दिल्ली की लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार बना दे लेकिन दिल्ली के बाहर आम आदमी पार्टी के टिकिट पर न तो शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव लड़ना चाहेंगे और न ही कीर्ति आज़ाद।
वहीँ गल्फ न्यूज़ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी में अलग थलग पड़े वरुण गांधी 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर नहीं लड़ेंगे। यदि इस रिपोर्ट में सच्चाई है तो अहम सवाल यही है कि वरुण गांधी का अगला ठिकाना कौन सी पार्टी होगी ?
वरुण गांधी को लेकर कई बार मीडिया में इस तरह की ख़बरें आ चुकी हैं कि वे कांग्रेस के सम्पर्क में बने हुए हैं। हालाँकि वरुण गांधी ने ऐसी खबरों को भ्रामक कहकर अपना बचाव अवश्य किया लेकिन वरुण गांधी का अगला ठिकाना कौन सी पार्टी होगी ये सवाल आज भी जस का तस बना हुआ है।
वरुण गांधी का व्यक्तित्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से बिल्कुल अलग माना जाता है। वे जुझारू होने के साथ साथ गंभीर प्रवृति के हैं। बीजेपी में अमित शाह और पीएम की जोड़ी आने के बाद उनके बीजेपी में अलग थलग पड़ने का बड़ा कारण पार्टी लाइन से हटकर बेबाक राय रखना भी है।
जानकारों की माने तो 2019 के लोकसभा चुनाव में वरुण गांधी बड़े ट्रंपकार्ड के रूप में उभर कर सामने आ सकते हैं। कई मायनो में वरुण गांधी कांग्रेस की बड़ी ज़रूरत साबित हो सकते हैं। खासकर उत्तर प्रदेश में जहाँ कांग्रेस संगठन पूरी तरह साँसे भर रहा है और उत्तर प्रदेश पर हाईकमान भी कोई खास तबज्जो नहीं दे रहा है।
ऐसे हालातो में यदि वरुण गांधी कांग्रेस में आते हैं तो वे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए बड़ी संजीवनी साबित हो सकते हैं। हालाँकि अभी इस मामले में कोई कयास नहीं लगाए जा सकते कि वरुण गांधी बीजेपी छोड़कर किस पार्टी में जायेंगे। लेकिन जहाँ भी जायेंगे वे चुनाव में बीजेपी के खिलाफ ब्रह्मास्त्र साबित होंगे।
वहीँ सूत्रों की माने तो 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी बीजेपी के कई दिग्गजों के टिकिट काटने का मन बना चुकी है। सम्भवतः यह भनक लगने के बाद ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने समय से पहले ही चुनाव लड़ने में असमर्थता ज़ाहिर कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक कभी बीजेपी को ज़मीन से आसमान पर पहुंचाने वाले वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कालराज मिश्र, गिरिराज सिंह, साक्षी महाराज, उमा भारती, सुमित्रा महाजन, मेनका गांधी, सावित्री बाई फुले, राधा मोहन सिंह, प्रभात सिंह चौहान, शांता कुमार, सहित करीब 50 कद्दावर बीजेपी नेताओं के टिकिट काटे जा सकते हैं।
हालाँकि अभी अगले आम चुनाव में खासा समय बाकी है। बीजेपी की हवा का रुख बहुत हद तक पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावो के परिणाम पर निर्भर करेगा। यदि बीजेपी अपने तीन सत्ताधारी राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में वापसी नहीं कर पाती तो 2014 में चली उसकी हवा थम भी सकती है।