रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था में मंदी को बताया चिंताजनक

रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था में मंदी को बताया चिंताजनक

नई दिल्ली। रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश की अर्थव्यवस्था में मंदी को लेकर चिंता ज़ाहिर की है। उन्होंने कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए बिजली और नॉन-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्रों में तत्काल समस्याओं को ठीक करने और सुधारों के एक नए कदम उठाने की जरूरत है।

राजन ने सीएनबीसी टीवी18 से बातचीत में कहा, ‘निजी क्षेत्र के विश्लेषकों की ओर से आर्थिक वृद्धि को लेकर कई तरह के अनुमान लगाये जा रहे हैं, जिनमें से कई संभवतः सरकार के अनुमान से काफी नीचे हैं। मेरा मानना है कि आर्थिक सुस्ती निश्चित रूप से बहुत चिंताजनक है।’

राजन ने कहा, ‘आप सभी तरफ देख सकते हैं, कि कंपनियां चिंतित हैं और जोर-शोर से कह रही हैं कि उन्हें कुछ न कुछ प्रोत्साहन दिया जाए।’ उन्होंने कहा कि इस बात के संकेत हैं कि मंदी गहरा सकती है, ऑटो सेक्टर को दो दशकों में सबसे खराब संकट का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें ऑटोमोबाइल और सहायक उद्योग में हजारों नौकरियों के नुकसान का आकलन किया गया है। एफएमसीजी कंपनियों में वॉल्यूम ग्रोथ में कमी आई है।

राजन ने कहा कि आप चारों तरफ कारोबारियों की चिंता सुन सकते हैं कि उन्हें किसी तरह के प्रोत्साहन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों से उधार लेना वास्तव में सुधार नहीं है, बल्कि यह फौरी कदम है।

राजन ने कहा कि सुधार करने वालों का इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए कि हम भारत के लोग भारत को कहां देखना चाहते हैं। सरकार को यह तस्वीर साफ होनी चाहिए कि कैसी अर्थव्यवस्था हम बनाना चाहते हैं। जरूरत यह समझने की है कि विकास दर को किस तरह से दो-तीन फीसदी बढ़ाया जाए। किस तरह से बिजली, नॉन- बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की समस्या का निदान किया जाए। यह निदान तेजी से हो न कि छह महीने बाद हो। समस्या से तत्काल निपटने के लिए यह बहुत अहम है।

राजन ने कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक मंदी पर राजन ने कहा कि 2008 के वित्तीय संकट की तुलना में बैंक दुनिया भर में बेहतर हैं। बैंक तब की तुलना में कम लाभान्वित होते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें ऐसे सुधारों की जरूरत है, जो निजी क्षेत्र को निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हमें कठोर कदम उठाने होंगे ताकि भारतीय बाजार, लोगों और कारोबार को प्रोत्साहित कर सकें। हमें आज की जरूरत पर सोचना होगा।

गौरतलब है कि 2013 से 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे रघुराम राजन को दूसरा कार्यकाल नहीं मिला था। उन्होंने पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम के शोध का उल्लेख करते हुए भारत में जीडीपी की गणना के तरीके पर नए सिरे से विचार की जरूरत बताई थी।

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