राष्ट्रपति चुनाव को लेकर टेंशन में क्यों है बीजेपी

ब्यूरो। पीएम मोदी की टीम राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों के कोरम को पूरा करने के लिए सक्रिय हैं। इसी बीच विपक्ष भी इस चुनाव के सहारे पीएम मोदी को हराना चाहता है।

बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार, कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी, शरद पवार, जदयू नेता शरद यादव, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद विपक्ष की सक्रियता इस ओर इशारा कर रही है।

मामला राष्ट्रपति चुनाव के लिए ज़रूरी वोटो को जुटाने का है। ऐसे सत्ता पक्ष और विपक्ष में रस्साकशी होना तय माना जा रहा है। विपक्ष की निगाहें शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव पर लगी हैं। विपक्ष की कोशिश होगी की राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के नाम पर सत्ता और विपक्ष में सहमति न बन पाने की दशा में अधिक से अधिक वोट जुटा कर सत्ताधारी एनडीए को चुनौती पेश की जाए।

विपक्ष के पास पुंडिचेरी, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा,पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, बिहार के वोटों का सहारा हैं जहाँ गैर बीजेपी दलों की सरकारें हैं वहीँ सत्तारूढ़ एनडीए के पास गोवा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, जम्मू कश्मीर, मणिपुर जैसे राज्यों से अच्छे वोट मिलने की सम्भावना है।

ऐसे में यदि महाराष्ट्र में शिवसेना, तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति एनडीए की जगह विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करती है तो सत्तारूढ़ एनडीए के लिए बड़ी मुश्किल पैदा हो सकती है।

राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना के पास 25 हजार से अधिक वोट हैं जबकि वर्तमान एनडीए को जिसमें शिवसेना भी शामिल है, अपना राष्ट्रपति जिताने के लिए अभी 20,000 से 25,000 वोटों की कमी है। अगर शिवसेना ने इस चुनाव में भाजपा का साथ नहीं दिया तो भाजपा को करीब 50 हजार अतिरिक्त वोटों का जुगाड़ करना पड़ेगा।

क्यों अहम है शिवसेना :

महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं। इनमें से शिवसेना के 63 विधायक हैं। महाराष्ट्र में एक विधायक के वोट का मूल्य 175 है। विधायकों के वोटों के मूल्य के मुताबिक शिवसेना के विधायकों के वोटों का मूल्य 11025 है। दूसरी ओर लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर शिवसेना के पास 21 सांसद हैं।

सांसदों के एक वोट का मूल्य 708 है। यानी शिवसेना के पास 14868 संसद में हैं। दोनों को जोड़ दें तो वोट 26 हजार के करीब पहुंच जाते हैं। जाहिर है कि भाजपा इस वोट को गंवाना नहीं चाहती। ऐसे में पार्टी उद्धव ठाकरे को साधने में जुटी है मगर हाल में दोनों दलों में कड़वाहट बेहद बढ़ गई है। महाराष्ट्र में भाजपा के उभार ने शिवसेना को सतर्क कर दिया है और इस लिए राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को शिवसेना का समर्थन आंखमूंद कर तय नहीं माना जा सकता।

किस के पास कितने वोट :

लोकसभा में अभी 545 सांसद हैं। तीन सीटें खाली हैं और दो एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्यों को वोट करने का अधिकार नहीं है तो सदन की संख्या 540 हुई। इसमें एनडीए के कुल 339 सांसद हैं जिनमें दो मनोनीत सदस्य हैं। अब चुनाव में वोट देने वाले कुल सदस्य 337 हुए। हर सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है। इस तरह लोकसभा में एनडीए के कुल 2 लाख 38 हजार 596 वोट हुए।

245 सांसदों वाली राज्यसभा में ओडिशा और मणिपुर की एक-एक सीट खाली है। इसके बाद 243 सांसद बचते हैं। इनमें 12 मनोनीत सदस्य हैं। एनडीए के कुल 74 सांसद हैं, चार मनोनीत हैं तो बचे 70 सांसद राष्‍ट्रपति का वोट देंगे। एक वोट का मूल्य 708 होता है। इस हिसाब से राज्यसभा में एनडीए के 49 हजार 560 वोट हुए।

राष्ट्रपति के लिए सांसद के साथ विधायक भी वोट डालते हैं। 29 राज्यों में से 17 राज्यों में एनडीए की सरकार है जबकि सभी राज्य मिलाकर एनडीए के 1805 विधायक हैं।

सांसदों के वोट का मूल्य निश्चित है लेकिन विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या के अनुसार होता है। जैसे सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है तो सबसे कम जनसंख्या वाले प्रदेश सिक्किम के वोट का मूल्य मात्र 7 हैं। विधायकों के वोट का हिसाब करें तो एनडीए के 1805 विधायकों के वोटों का मूल्य 2 लाख 44 हजार 436 है।

लोकसभा और राज्य सभा के 771 सांसदों के हैं इस हिसाब से कुल 5 लाख 45 हजार 868 वोट होते हैं। जबकि पूरे देश में 4120 विधायक हैं। विधायकों के कुल वोट 5 लाख 47 हजार 786 हैं। देश में कुल वोट हैं 10 लाख 93 हजार 654 और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5 लाख 46 हजार 828 वोट चाहिए।

एनडीए के सांसद और विधायकों का वोट जोड़कर 5 लाख 32 हजार 592 हुआ, यानी एनडीए को अभी जीत के लिए और 14 हजार 236 वोट चाहिए। अब अगर यह भी मान लिया जाए कि उपचुनाव की सभी सीटों पर भाजपा जीत जाती है तो तीन सांसदों के 2124 वोट और 10 राज्यों की 12 विधानसभा सीटों के 1388 वोट को जोड़ दें तो कुल 3512 वोट होते हैं। यानी अब भी एनडीए को 10 हजार 724 वोट चाहिए और इन्हीं वोटों के लिए एनडीए बड़े स्तर पर विचार करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है।

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