ये भाषा किसी सड़क के गुंडे की नहीं बल्कि एक केंद्रीय मंत्री की है “चमड़ी उधेड़ कर रख दुंगा”
नई दिल्ली। भाषाई मर्यादा लांघते लांघते केंद्र सरकार के मंत्री यह भी भूल गए कि वे कोई सड़क का गुंडा नहीं बल्कि केंद्र सरकार में मंत्री हैं। एक केंद्रीय मंत्री जो संविधान की शपथ लेता है यदि उसकी ज़ुबान से ज़हर बरसेगा तो उसके मंत्रालय से जुड़े कर्मचारी उससे क्या सीख लेंगे ?
मोदी सरकार में मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कबूल किया है कि उन्होंने कुछ लोगों से ‘चमड़ी उधेड़ कर रख देने’ की बात कही थी। आज किए गए ट्वीट में उन्होंने कहा कि हां, मैंने ऐसा कहा।
उन्होंने स्वीकार किया कि ‘वहां पर तृणमूल कांग्रेस के तीन कार्यकर्ता मौजूद थे जो हंगामा करने के साथ मुझे गालियां दे रहे थे। वे मुझसे बात करने वाले लोगों को धमकी दे रहे थे। मेरा गुस्सा पूरी तरह भावनात्मक था और मैं उनकी भड़काऊ टिप्पणियों से व्यथित हो गया। क्या मुझे चुड़ियां पहन लेनी चाहिए और भाग जाना चाहिए था।’
गौरतलब है कि बाबुल गुरुवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र आसनसोल पहुंचे थे। यह क्षेत्र भी राज्य में निकाले गए रामनवमी जुलूस के बाद सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हो हुआ है। वह जब आसनसोल के कल्याणपुर में स्थित एक राहत कैंप की तरफ जा रहे थे जब पुलिस ने उन्हें रोक दिया। उनपर सीआरपीसी की धारा 144 और आईपीसी की धारा 146, 147, 148 और 353 का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। उनपर आरोप है कि उन्होंने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रूपेश कुमार पर हमला किया।
न्यूज चैनलों की क्लिप में दिख रहा है कि जब कुछ लोग सुप्रियो के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा कि क्या मैंने आपसे लड़ने को कहा? मैं चला जाऊंगा। लेकिन आप मुश्किल में आ जाएंगे। मगर जब एक शख्स ने उन्हें वापस जाने और उन्हें अकेला छोड़ने के लिए कहा तो सुप्रियो चिल्लाते हुए कहते हैं कि तुम्हारी चमड़ी उधेड़वा लूंगा।
जब इस बारे में सांसद से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वहां पर टीएमसी के दो-तीन शरारती तत्व मौजूद थे जो माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे थे। मैंने अपने वाहन को रोका जब दो वृद्ध महिलाएं रो रही थीं। वह मुझसे मिलना चाहती थी और पुलिस द्वारा उस इलाके में कार्रवाई ना करने के बारे में बताना चाहती थी। शरारती तत्वों ने उन्हें धक्का दिया। पुलिस को शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने मुझे निशाना बनाया।
सुप्रियो ने कहा कि स्थानीय सासंद होने की वजह से यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं मुसीबत से जूझ रहे लोगों की मदद करूं लेकिन पुलिस ने बिना किसी कारण मुझे उनसे मिलने से रोक दिया। उन्होंने पश्चिम बंगाल के आईपीएस अधिकारी रुपेश कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। जिसमें उनका कहना है कि कई बार मैंने उनसे खुद को ना छूने के लिए कहा इसके बावजूद उन्होंने मुझे हेलमेट से मारा।