यूपी में प्रियंका गांधी के सहारे बड़ा दांव चल सकती है कांग्रेस
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नई दिल्ली। 2019 के आम चुनावो के लिए जहाँ विपक्ष के महागठबंधन बनाये जाने की कोशिशें चल रही हैं वहीँ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी बसपा और रालोद के साथ मिलकर गठबंधन करना चाहती है।
उत्तर प्रदेश में गठबंधन को लेकर सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव के जिस तरह के बयान आ रहे हैं उससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखने या दस से भी कम सीटें देकर अधिक सीटें सपा और बसपा के बीच बाँट लेना चाहती है।
अभी कुछ महीनो पूर्व सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने गठबंधन को लेकर कांग्रेस पर छीटाकशी भी की थी। मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि कांग्रेस की औकात सिर्फ दो सीटों की है। मुलायम के तेवर से साफ़ ज़ाहिर हो गया था कि उन्हें गठबंधन में कांग्रेस का शामिल होना हजम नहीं हो रहा और गठबंधन होने की दशा में समाजवादी पार्टी कांग्रेस को बमुश्किल 5 से 7 सीटें ही देना चाहती है।
वहीँ सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश में गोरखपुर, फतेहपुर और कैराना में हुए लोकसभा के उपचुनाव में बसपा का समर्थन मिलने से जीती समाजवादी पार्टी अब इस बात को लेकर आश्वस्त है कि उसे कांग्रेस की कोई आवश्यकता नहीं है।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के राजनैतिक हलकों में दो नामो को लेकर बड़ी चर्चाएं छिड़ी हैं। इनमे पहला नाम प्रियंका गांधी और दूसरा नाम वरुण गांधी का है। चर्चाओं के अनुसार यदि 2019 के चुनाव में यदि बीजेपी वरुण गांधी की मां और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का टिकिट काटती है तो वरुण गांधी बीजेपी से किनारा कर सकते हैं।
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक मेनका गांधी का नाम उन संभावित सांसदों की सूची में है जिनके टिकिट काटना तय है। वहीँ हाल ही में बीजेपी सांसद जगदम्बिका पाल की सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि जगदम्बिका पाल का नाम भी उस सूची में आ गया है जिन्हे बीजेपी आलाकमान 2019 के चुनाव में टिकिट देना नहीं चाहता। ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजनीति का करवट बदलना भी तय है।
वहीँ उत्तर प्रदेश में बड़ी चर्चा प्रियंका गांधी के नाम को लेकर चल रही हैं। प्रियंका के राजनीति में आने को लेकर स्वयं सोनिया गांधी से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कांग्रेस के तमाम बड़े नेता यह कहते रहे हैं कि राजनीति में आने का फैसला स्वयं प्रियंका गांधी करेंगी।
दूसरी तरफ कयास इस बात को लेकर लगाये जा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन से बाहर रखे जाने की स्थति में कांग्रेस को अपनी किरकिरी होने से बचाने के लिए प्रियंका बड़ा सहारा साबित हो सकती हैं।
कांग्रेस सूत्रों की माने तो पार्टी अब उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को बड़ी ज़िम्मेदारी देने का मन बना रही है। सूत्रों की माने तो यदि प्रियंका गांधी स्थाई तौर पर सक्रीय राजनीति में आने से इनकार करती हैं तब भी उन्हें उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रचार समिति का अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है और उन्हें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लोकसभा क्षेत्रो अमेठी, रायबरेली के बाहर प्रदेशभर में चुनाव प्रचार की कमान दी जा सकती है।
वहीँ दूसरी तरफ यह तर्क भी दिया जा रहा है कि प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा बनाकर उतारा जा सकता है। प्रियंका गांधी कांग्रेस नेताओं के साथ उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति को कोर्डिनेट कर सकती हैं।
हालाँकि आधिकारिक तौर पर कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी के राजनीति में आने या उन्हें कोई ज़िम्मेदारी दिए जाने की कोई पुष्टि नही की गयी है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में 2019 के चुनाव को लेकर कांग्रेस की ख़ामोशी इस बार का बड़ा सबूत है कि वह अंतिम समय पर प्रियंका गांधी के रूप में अपना ब्रमास्त्र इस्तेमाल कर सकती है।
सूत्रों की माने तो प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में कोई यात्रा लेकर भी निकल सकती हैं। वे प्रदेशभर का दौरा कर कांग्रेस संगठन में जान फूंक सकती हैं। यह भी कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखे जाने की दशा में प्रियंका गांधी कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो सकती हैं।
फ़िलहाल देखना है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अपने कौन कौन से सांसदों के टिकिट काटती है और इन सांसदों में मेनका गांधी का नाम भी शामिल होता है अथवा नही। साथ ही 2019 के लिए बनाये जा रहे विपक्ष के गठबंधन में कांग्रेस को शामिल किया जायेगा या नही। ये दोनो सवाल ऐसे हैं जिनके जबाव मिलने पर उत्तर प्रदेश की चुनावी तस्वीर बहुत हद तक साफ़ हो जाएगी।
(राजा ज़ैद द्वारा )