यूपी में तीसरे मोर्चे के लिए शिवपाल कांग्रेस के बीच चल रहीं तैयारी

यूपी में तीसरे मोर्चे के लिए शिवपाल कांग्रेस के बीच चल रहीं तैयारी

लखनऊ ब्यूरो। 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस अब यह मानकर चल रही है कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन में उसे जगह नहीं मिलेगी। यही कारण हैं कि पार्टी राज्य में तीसरे मोर्चे के विकल्प पर काम कर रही है।

वहीँ मीडिया में आयी खबरों को सही माने तो उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को सपा बसपा के बीच गठबंधन तय हो गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बसपा 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे वहीँ 6 सीटें अन्य दलों के लिए छोड़ी गयी हैं।

सपा बसपा के बीच गठबंधन की आहट से जागी कांग्रेस अब तीसरे मोर्चे के फॉर्मूले पर काम कर रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रोग्रेसिव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन की इच्छा जताते हुए पार्टी के नेताओं को गठबंधन का फॉर्मूला भेजा था। इस फॉर्मूले पर पार्टी ने काम करना शुरू कर दिया है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेता अब इस बात को मान रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने से बैहतर होगा कि शिवपाल की पार्टी प्रोग्रेसिव समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया जाए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के साथ गठबंधन की स्थति का अध्यन करने के लिए कांग्रेस नेता पीएल पुनिया और प्रमोद तिवारी को कमान सौंपी गयी है।

हालाँकि अभी तक यह साफ़ नहीं है कि कांग्रेस और प्रोग्रेसिव समाजवादी पार्टी में गठबंधन की बात कहाँ तक पहुंची है और यदि दोनों दलों के बीच गठबंधन की तस्वीर बनती है तो कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

वहीँ आधिकारिक तौर पर कांग्रेस खुद को सपा बसपा गठबंधन का साथी बता रही है। अभी हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा मध्य प्रदेश में सपा विधायक को मंत्री न बनाये जाने पर कांग्रेस से नाराज़ दिखे तो उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने बात को सँभालने की कोशिश करते हुए कहा कि नाराज़गी भी अपनों से होती है, यदि किसी दल को कोई नाराज़गी है तो उसे चर्चा करके दूर किया जायेगा।

फ़िलहाल देखना है कि सपा बसपा गठबंधन को लेकर मीडिया में आ रही खबरो में कितना दम है। यदि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बिना सपा बसपा गठबंधन बनता है तो यह भी तय मान लेना चाहिए कि कांग्रेस अपने आखिरी विकल्प के तौर पर शिवपाल सिंह यादव की पार्टी प्रोग्रेसिव समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने में देर नहीं करेगी।

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