यूपीए शासन में मुनाफे में थीं BSNL-MTNL, मोदी सरकार में हालत हुई खस्ता: कांग्रेस
नई दिल्ली। भारतीय संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड(एमटीएनएल) की खस्ता हालत के लिए कांग्रेस ने मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है।
कांग्रेस का आरोप है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों कंपनियां यूपीए काल में लाभ कमा रही थीं लेकिन मोदी सरकार ने जानबूझ कर इन कंपनियों को आगे बढ़ने से रोक दिया है।
गुरूवार को कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस के वक्त 7,838 करोड़ रुपये का मुनाफा एमटीएनएल ने कमाया था। मनमोहन सिंह सरकार ने उसे मुनाफा कमाने वाली कंपनी बनाया था। उन्होंने कहा, सिर्फ 2019 में एमटीएनएल का घाटा 3,390 करोड़ है। पिछले पांच साल में 11,228 करोड़ का कंपनी का घाटा हुआ।
उन्होंने कहा कि बीएसएनएल की हालत भी कुछ ऐसी ही है। वर्ष 2019 में उसकी बैलेंसशीट 16 प्रतिशत तक गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि एमटीएनएल के 45 हजार कर्मचारी हैं, जिनकी तनख्वाह सरकार नहीं दे पा रही है। आखिर वह क्या कारण है कि जो कंपनी यूपीए के वक्त मुनाफा कमा रही थी, वह पिछले 5 साल में घाटे में चली गई।
पवन खेड़ा ने कहा कि क्या केंद्र सरकार इन कंपनियों से कोई बदला ले रही है। क्यों इन्हें जान-बूझकर कमजोर किया जा रहा है। खेड़ा ने कहा, 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी बीएसएनएल में काम करते हैं और 45 हजार एमटीएनएल में हैं। यही हाल रहा तो इन कर्मचारियों के परिवार सड़क पर आ जाएंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्राइवेट कंपनियां 5जी तक पहुंच चुकी हैं और सरकार इन दो कंपनियों को 3जी से आगे बढ़ने ही नहीं दे रही। इन दोनों कंपनियों के हाथ सरकार ने क्यों बांध रखे हैं।
गौरतलब है कि पूर्व दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने पिछले साल दिसंबर में संसद को बताया था कि बीएसएनएल का सालाना घाटा वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 7,992 करोड़ रुपये हो गया। इससे पहले 2016-17 में कंपनी का घाटा 4,786 करोड़ रुपये रहा था।