यूएन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट : दिल्ली-एनसीआर में मुसलमानो को आसानी से नहीं मिलता किराए पर मकान

Muslims

नई दिल्ली । देश में पैदा हुए असहिष्णुता के माहौल का प्रतिकूल प्रभाव देश की राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर में आने वाले शहरो पर भी पड़ा है । सरकार भले ही सकारात्मक माहौल के दावे कर रही है लेकिन सरकार के इस दावे को संयुक्त राष्ट्र की एक यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है ।

कई लोग मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े राज्यों में अपना भविष्य उज्जवल बनाने की सोच लेकर आते हैं, पर ऐसे बड़े राज्यों के ही कई अजीब किस्से सुनने में आते हैं। जैसे मुंबई में एक्टिंग की चाह रखने वाले लोगों या फिर कई बार बॉलीवुड के सितारों को लोग किराए पर घर देना पंसद नहीं करते। पुणे में भी सिविल एग्जाम की तैयारी करने आए कई मुस्लिम लोग हिंदू सरनेम लगाकर घर तलाशते हैं।

ऐसे में एक नई स्टडी से पता लगा है कि राजधानी दिल्ली में मुस्लिम समुदाय के लोगों को लोग अपना घर किराए पर देने से कतराते हैं। यह स्टडी चिंता में इसलिए डालती है क्योंकि इसबार यह बात यूएन की एक यूनिवर्सिटी ने कही है। फिनलैंड की युनाइटेड नेशन्स यूनिवर्सिटी वर्ल्ड इंस्टीट्यूट ऑफ डेवेलपमेंट इकोनॉमिक्स रिसर्च (UNI-WIDER) ने अपने इस शोध में दिल्ली, गुड़गांव (गुरुग्राम) और नोएडा के इलाकों को शामिल किया था।

रिसर्च में पता लगा कि किसी मुस्लिम को घर तलाशने के लिए 45 जगह आवेदन देना पड़ता है जिसमें से 10 ही लोग उसे घर देने को तैयार होते हैं। वहीं, ऊंची जाति के हिंदू अगर 28 जगह पर आवेदन करते हैं तो उन्हें सभी लोग घर देने को राजी रहते हैं।

इस रिसर्च के लिए संस्थान ने साल 2015 के दो महीने के आकंड़े लिए हैं। यह आकंड़े भारत की मशहूर वेबसाइट्स के थे, जो की यहां पर घर ढूंढ़ने में लोगों की मदद करती हैं। इस रिपोर्ट को विक्रम पठानिया नाम के शख्स ने UNU-WIDER की तरफ से लोगों से सामने रखा है। इसको ‘For whom does the phone (not) ring? Discrimination in the rental housing market in Delhi, India’ नाम दिया गया है।

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TeamDigital