यहाँ टूट गया बीजेपी का सपना, बसपा उम्मीदवार ने कांग्रेस में कर ली घर वापसी
नागौर। राजस्थान की नागौर सीट पर एनडीए का सपना उस समय चकनाचूर हो गया जब कांग्रेस छोड़ बसपा में गए मुश्ताक खान ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली।
दरअसल मुश्ताक खान को बसपा ने नागौर लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया था तो कयास लगाए जा रहे थे कि मुश्ताक खान कांग्रेस के वोट में सेंधमारी करके एनडीए की राह आसान कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बसपा उम्मीदवार के तौर पर नामांकन करने के बावजूद मुश्ताक खान फिर से कांग्रेस में वापस आगये।
राजस्थान की बाहुल्य सीट कही जाने वाली नागौर सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी तादाद है। कांग्रेस में जिला महासचिव पद पर रहे मुश्ताक खान हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल हो गए थे। इतना ही नहीं बसपा ने उन्हें नागौर लोकसभा सीट से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया और उन्होंने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया था।
मुश्ताक खान के नामांकन के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि इस सीट पर वे कांग्रेस के दलित मुस्लिम वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाएंगे और इसका लाभ एनडीए को मिलेगा। नागौर सीट पर बीजेपी और खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी में लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन किया है।
इस सीट पर सर्वाधिक मतदाता जाट समुदाय से हैं वहीँ अनुसूचित जाति के मतदाताओं की तादाद करीब 20.91% है, वहीँ करीब 8% मुस्लिम मतदाता हैं। नागौर सीट पर रावड़ा राजपूत का भी अच्छा खासा प्रभाव है। ऐसे में माना जा रहा था कि बतौर बसपा उम्मीदवार मुश्ताक खान मुस्लिम दलित मतदाताओं पर ख़ासा असर डाल सकते हैं। लेकिन चुनाव आने से पहले ही मुश्ताक खान ने एक बार फिर कांग्रेस में घर वापसी कर ली है।
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 26,52,945 है, जिसका 79.64 प्रतिशत हिस्सा शहरी और 20.36 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण है। 2014 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक नागौर संसदीय सीट मतदाताओं की कुल संख्या 16,78,662 है, जिसमें से 8,86,731 पुरुष और 7,91,931 महिला मतदाता हैं।
नागौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत जिले की 10 में से 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जबकि यहां की दो विधानसभा मेड़ता और डेगाना राजसमंद लोकसभा में शामिल हैं। भौगोलिक दृष्टिकोण से नागौर जिला बीकानेर और जोधपुर के मध्य में स्थित राजस्थान का पांचवा सबसे बड़ा जिला है।