यदि उपचुनावों में हारी बीजेपी तो लोकसभा में बहुमत खोने का डर
नई दिल्ली। 29 जनवरी को हो रहे आठ लोकसभा क्षेत्रो के उपचुनाव में बीजेपी अपनी पूरी ताकत झौंक रही है। उपचुनावों में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी ने करीब 450 स्टार प्रचारकों की अलग अलग लोकसभाओं में न्युक्ति की है।
उपचुनावों को खास प्राथमिकता देने के पीछे बीजेपी की एक बड़ी मज़बूरी यह भी है कि यदि वह लोकसभा उपचुनावों में सभी पांच सीटों पर चुनाव हारती है तो बीजेपी लोकसभा में बहुमत खो देगी। हालाँकि इससे मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है क्यों कि एनडीए घटक दलो के सदस्यों के सहारे लोकसभा में उसका बहुमत बरकरार रहेगा।
पिछले लगभग साढ़े तीन साल में लोकसभा में बीजेपी सांसदों की संख्या 282 से घटकर 276 पहुंच चुकी है। कुछ सांसदों के देहांत और कुछ के इस्तीफे की वजह से 8 लोकसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं।
यही कारण है कि बीजेपी एक एक सीट को अहम मानकर चल रही है और पूरी ताकत के साथ उपचुनाव में जुटी है। बीजेपी नेताओं की माने तो एक एक सीट अहम है क्यों कि एनडीए घटक दलों के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। शिवसेना की तरह कोई भी घटक दल कभी भी अलग खड़ा हो सकता है।
ऐसी स्थति से निपटने के लिए बीजेपी के पास लोकसभा में अपना बहुमत होना ज़रूरी है और इस बहुमत को बनाये रखने के लिए लोकसभा उपचुनाव की हर सीट को जीतने के लिए प्रयास किये जायेंगे।
लोकसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत झौंक दी है। राजस्थान में अजमेर, अलवर और उत्तर प्रदेश में फूलपुर व गोरखपुर सीट पर उपचुनाव हो रहा है। वहीँ महाराष्ट्र में भंडारा गोदिया सीट पर उपचुनाव हो रहा है।
बीजेपी के लिए एक बड़ी बात यह भी है कि जिन राज्यों में लोकसभा उपचुनाव हो रहे हैं वहां बीजेपी की सरकार हैं। ऐसे में लोकसभा उपचुनावों को राज्य सरकार के कामकाज की कसौटी भी माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार, राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सरकार की अग्नि परीक्षा माना जा रहा है।