मौत से 74 दिन लड़ती रहीं जयललिता, अंतिम क्षणो में परिवार का कोई सदस्य नही था पास

ब्यूरो । बुखार एवं निर्जलीकरण की शिकायत के चलते जयललिता को 22 सितंबर को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करीब 74 दिन तक जयललिता मौत से लड़ती रही। कुछ दिन पहले अपोलो हॉस्पिटल्स के चेयरमैन प्रताप सी रेड्डी ने कहा था कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ‘‘पूरी तरह स्वस्थ हो गई हैं।’’

अस्‍पताल की ओर से चार दिसंबर को जारी बुलेटिन में कहा गया, ”कार्डियोलॉजिस्‍ट, पल्‍मोनोलॉजिस्‍ट और क्रिटिकल केयर स्‍पेशलिस्‍ट्स उनका ट्रीटमेंट और मॉनिटरिंग कर रहे हैं। वह एक्‍स्‍ट्राकार्पोरियल मेमब्रेन हर्ट असिस्‍ट डिवाइस पर हैं। लंदन से डॉक्‍टर रिचर्ड बैली से भी परामर्श लिया गया है।” पुलिस ने अब संभावित शोक को देखते हुए इंतजाम कर लिए हैं। हॉस्पिटल जाने वाले सारे रास्ते बंद कर दिए गए।

बीमारी के दौरान जयललिता के पास उनके परिवार का एक भी सदस्‍य नहीं था। उनके परिवार में केवल एक भतीजी दीपा हैं। दीपा का जन्‍म जयललिता के चेन्‍नर्इ स्थित घर पोएस गार्डन में हुआ था। काफी साल तक वह वहीं रहीं। लेकिन उन्‍हें भी पुलिस ने जया के पास नहीं जाने दिया। पुलिस ने दीपा से कहा कि जल्‍द ही उन्‍हें बुलाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जयललिता ने शादी नहीं की थी। इसके उनके परिवार में केवल ननिहाल पक्ष के ही लोग थे।

जयललिता के भाई जयकुमार की 1990 में मौत हो गई थी। जया ने वीएन सुधाकरन को गोद ले रखा था। साल 1995 में उन्‍होंने सुधाकरन की भव्‍य शादी की थी। इस शादी के बाद ननिहाल पक्ष के रिश्‍तेदारों से भी उनकी दूरी बनती गई।

जयललिता 1982 में एआईएडीएमके की सदस्य बनकर राजनीति में आईं। 1983 में उन्हें पार्टी के प्रचार विभाग का सचिव बनाया गया। 1984 में एमजीआर ने उन्हें राज्य सभा का सांसद बनाया। हालांकि कुछ समय बाद ही एमजीआर से उनके मतभेद शुरू हो गए। जब 1987 में एमजीआर का देहांत हुआ तो पार्टी में विरासत की जंग छिड़ गई। पार्टी का एक धड़ा एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन के साथ था तो दूसरा धड़ा जयललिता के साथ। इसके बाद से जयललिता तमिलनाडु की राजनीति के केंद्र में रही। 2016 में दूसरी बार विधानसभा का चुनाव जीतनी वाली वो एमजीआर के बाद दूसरी नेता बनी।

जयललिता जनता के बीच अम्‍मा के नाम से मशहूर हैं। उनके निधन के बाद तमिलनाडु में शोक है। यहां पर सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। कई जगहों पर उनके समर्थक विलाप कर रहे हैं। लेकिन संयोग देखिए कि अंतिम समय में उनके पास उनका कोई भी रिश्‍तेदार नहीं था। जया साल 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल जाने के बाद से ही कमजोर हो गई थी। हालांकि इस केस में उन्‍हें बरी भी कर दिया गया लेकिन जया की सेहत गिरने लगी थी। वे अंदर से कमजोर हो चुकी थीं। सार्वजनिक रैलियों के दौरान मंच पर जाने के लिए वह एलिवेटर का इस्‍तेमाल करती थीं। वह बैठकर ही भाषण देती थीं।

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