मौजूदा हालातो को देखते हुए संविधान बचाने के लिए एकजुट हो विपक्ष: शरद यादव
नई दिल्ली। टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को जदयू के बागी पूर्व सांसद लेकर शरद यादव ने बड़ा बयान दिया है।
शरद यादव ने कहा कि एनडीए का कोई एजेंडा नहीं है और उसके घटक दलों की हालत पेइंग गेस्ट जैसी है। लोकसभा में प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव के बारे में शरद यादव ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव हारने-जीतने के लिए होता है, साथ ही बड़ी बहस के लिए भी होता है।
उन्होंने कहा कि ऐसी बहस देश की जनता को सुनाई जाती है. यह एक तरह से सरकार के सारे कामकाज को लेकर उसको बेनकाब करने के लिए होता है। वर्तमान और पिछली एनडीए सरकार की कार्यशैली पर तुलना करते हुए शरद यादव ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के जमाने में ऐसा नहीं था, तब देश के लिए एक राष्ट्रीय एजेंडा हुआ करता था।
उन्होंने कहा कि ‘मोदी बनाम सब’ की तस्वीर तो बन चुकी है, ऐसा कौन है जो गठबंधन में उनके साथ है. हर कोई अपनी नाराजगी अब लगातार जाहिर कर रहा है. शिवसेना पहले से ही नाराज चल रही है, वोटिंग से बाहर रहना भी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन ही है. आज जो भी दल बीजेपी के सहयोगी हैं, उसमें आप किसी का भी नाम ले लीजिए वह सब अब बेचैन हैं.
उन्होंने कहा, ‘जनता तो बैचेन है ही। चाहे नौजवान हों, किसान हों, दलित हों, आदिवासी हों या फिर व्यापारी हों या उद्योगपति हर कोई बेचैन है. साझा विरासत ने इस देश में एक बड़ा वातावरण बना दिया, जिसके बाद एक तरह से विपक्षी दलों की गोलबंदी हो गई। संसद के बाहर इस गोलबंदी से हमने ‘संविधान बचाओ कार्यक्रम’ भी किया. नासिक से चलकर किसान भी गए।
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा हालात को देखते हुए सारे विपक्षी दलों का यह फर्ज बनता है कि वे एक होकर देश के संविधान को बचाने की मुहिम में जुट जाएं। अविश्वास प्रस्ताव के जरिए होने वाली बहस राज्यों के चुनावों पर असर डालते हैं। अविश्वास प्रस्ताव कोई भी रखे, लेकिन हर पार्टी उसे अपने-अपने तरीके से मुद्दा बनाती है।’
शरद ने कहा कि कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं। आज सारे विपक्षी दलों की कोशिश होगी कि कर्नाटक में हम चुनाव जीतें, तो इस बहस को हम कर्नाटक में भी ले जाएंगे और इस साल जिन राज्यों में भी चुनाव होने वाले हैं वहां पर भी लोगों के बीच सच्चाई ले जाएंगे। जनता के बीच बहस ले जाएंगे और वह तय करें कि कौन सच है।