मानहानि मामले में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत

नई दिल्ली। आपराधिक मानहानि के मुकदमे में फंसे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए बड़ी राहत की खबर है । बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनके मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि आपराधिक मानहानि की शिकायत की जांच में पुलिस की कोई भूमिका नहीं होती। सिर्फ मजिस्ट्रेट ही ऐसी शिकायत की जांच करता है। कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए मामले की सुनवाई 23 अगस्त तक टाल दी।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी राहुल गांधी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मजिस्ट्रेट ने राहुल गांधी के खिलाफ दाखिल आपराधिक मानहानि की शिकायत पुलिस को भेज कर रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में राहुल पर आरोप है कि उन्होंने अपने बयान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर महात्मा गांधी की हत्या के आरोप लगाए हैं। राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से यह मुकदमा निरस्त करने की मांग की है। जिस पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा कि पुलिस आपराधिक मानहानि की शिकायत की जांच नहीं कर सकती। सिर्फ मजिस्ट्रेट ही आपराधिक मानहानि की शिकायत की जांच करता है। यह एक आपराधिक शिकायत होती है। इसमें पहले शिकायतकर्ता को केस साबित करना होता है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने आपराधिक मानहानि कानून को सही ठहराने वाले अपने पूर्व फैसले का हवाला देते हुए कहा कि उसमें कहा जा चुका है कि ऐसे मामलों की जांच में पुलिस की कोई भूमिका नहीं होती।

मजिस्ट्रेट पुलिस को आपराधिक मानहानि की शिकायत की जांच के लिए नहीं कह सकता। पीठ ने निचली अदालत की कार्यवाही में प्रक्रियात्मक खामी बताते हुए कहा कि वे इस पहलू पर विचार करेंगे। इस आधार पर मामला विचार के लिए वापस निचली अदालत भी भेजा जा सकता है। मामले में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता राजेश कुंटे की ओर से वकील यूआर ललित और महाराष्ट्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे जबकि राहुल गांधी की पैरोकारी वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कर रहे थे।

कोर्ट के सवाल उठाने पर जब तुषार मेहता ने कुछ बोलना शुरू किया तो सिब्बल ने सरकार की मौजूदगी पर आपत्ति उठाई। सिब्बल ने कहा कि मानहानि की निजी शिकायत के मामले में राज्य सरकार कैसे पक्षकार हो सकती है। हालांकि कोर्ट ने प्रक्रियात्मक खामी के पहलू पर विचार का मन बनाते हुए सुनवाई 23 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। उस दिन कोर्ट विचार करेगा कि मामला नए सिरे से जांच के लिए निचली अदालत को वापस भेजा जाए या नहीं।

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