मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

पटना(सुमन मिश्रा)। अलाइव एंड थराइव के सहयोग से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में चिकित्सकों एवं नर्सों की मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण पर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गयी .

कार्यशाला के माध्यम से मातृत्व के प्रथम 1000 दिनों में मातृ पोषण, 6 माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार के साथ मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए जरुरी प्रोटोकॉल के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी.

इस अवसर पर एम्स के निदेशक डॉ. पीके सिंह ने कार्यशाला का शुभाराम्भ करते हुए कहा कि मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण में सुधार लाने के लिए चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है. इसके लिए इस तरह की प्रशिक्षण कार्यशाला गुणवत्ता सुधार में सहायक साबित होगी.

उन्होंने बताया कि माँ का दूध शिशुओं को बहुत सारे रोगों से बचाव करता है. इसकी उपयोगिता को देखते हुए एम्स में जल्द ही बिहार की प्रथम मानव मिल्क बैंक यूनिट की शुरुआत की जाएगी जिसमें माँ के दूध को संरक्षित एवं संग्रहित करने की आधुनिक सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी.

कम्युनिटी एंड फैमली मेडिसिन एम्स के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए चिकित्सकीय सुविधा के साथ बेहतर परामर्श भी अत्यावश्यक है. इस प्रशिक्षण कार्यशाला के माध्यम से संस्थान के सभी चिकित्सक मरीजों को एक समान परामर्श देने एवं गर्भावस्था से लेकर शिशु के 2 वर्ष की आयु तक यानि कुल 1000 दिनों के महत्व को लोगों को समझा पाने में सक्षम होंगे.

वरीय कार्यक्रम प्रबंधक अलाइव एंड थराइव डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिला को प्रतिदिन के भोजन में आयरन और फॉलिक एसिड की सही मात्रा लेना भी जरुरी है. एक गर्भवती महिला को अधिक से अधिक आहार सेवन में विभिन्नता लानी चहिए. गर्भावस्था और जन्म के बाद के पहले 1000 दिन नवजात के शुरुआती जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है.

आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है जिसकी भरपाई बाद में नहीं हो पाती है.. नवजात शिशु की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उसे जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध पिलाना जरूरी है. यह नवजात शिशु को कई संक्रमण और बीमारियों से सुरक्षित रखता है. स्तन पान कराने से नवजात शिशु के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं.

6 माह के बाद अनुपूरक आहार है जरुरी : प्रशिक्षण के दौरान शिशुओं को 6 माह के बाद अनुपूरक आहार सेवन पर जानकारी दी गयी. 6 से 8 माह के शिशुओं को स्तनपान के साथ दिन में 2 बार लगभग 250 मिलीलीटर की आधी कटोरी अर्धठोस भोजन के साथ गाढ़ी दाल में 1 चम्मच तेल या घी देना चाहिए.

9 से 11 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ दिन में 3 बार लगभग 250 मिलीलीटर की आधी कटोरी अर्धठोस भोजन दिन में एक से दो बार देना चाहिए. 12 से 23 माह तक के बच्चों को स्तनपान के साथ दिन में 3 बार लगभग 250 मिलीलीटर की एक कटोरी अर्धठोस भोजन दिन में एक से दो बार देना चाहिए. साथ ही बच्चों के बेहतर पोषण के लिए अनुपूरक आहार में विविधता भी काफी जरुरी है. इससे बच्चों को आहार से जरूरी पोषक तत्त्व प्राप्त होते हैं.

इस दौरान डॉ. हिमाली सिन्हा विभागाध्यक्ष महिला एवं प्रसूति रोग एम्स , डॉ. प्रज्ञा कुमार एसोसिएट प्रोफेसर कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन, डॉ. महताब एवं रश्मि सिंह वरीय सलाहकार गुणवत्ता सुधार के अलावा अलाइव एंड थराइव से जोयिता उपस्थित थे.

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