महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हाजी अली ट्रस्ट
नई दिल्ली । बांबे हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद हाजी अली ट्रस्ट इबादत के वास्ते दरगाह का दरवाजा महिलाओं के लिए खोलने का इच्छुक नहीं दिख रहा है।
उसने सूफी संत की मजार तक महिलाओं के जाने पर लगी पाबंदी हटाने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। अपनी याचिका में ट्रस्ट ने शीर्ष न्यायालय से हाई कोर्ट के इस आदेश को निरस्त करने की मांग की।
बांबे हाई कोर्ट ने 26 अगस्त के अपने फैसले में दरगाह ट्रस्ट द्वारा मुंबई स्थित मशहूर सूफी संत सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की मजार तक महिलाओं के प्रवेश पर लगाई गई पाबंदी को खत्म कर दिया था। अदालत ने इस रोक को संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 25 के तहत प्रदत्त अधिकारों के विरुद्ध बताया था।
कहा था कि महिलाओं को भी पुरुषों की तरह पूजा स्थल में प्रवेश करने और इबादत करने का बराबर अधिकार है। उच्च न्यायालय ने जाकिया सोमन और भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की नूरजहां नियाज की जनहित याचिका पर यह आदेश जारी किया था।
इन दोनों ने दरगाह स्थित मजार में महिलाओं के प्रवेश पर 2012 से लगी रोक को गैरकानूनी बताते हुए चुनौती दी थी। इस पर हाजी अली ट्रस्ट की ओर से दलील दी गई कि उसने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के तहत ही महिलाओं के दरगाह में प्रवेश पर रोक लगाई थी।
शीर्ष अदालत ने पूजा स्थलों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकना सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे, इसलिए ट्रस्ट ने यह कदम उठाया। लेकिन हाई कोर्ट ने यह दलील ठुकरा दी। कहा कि हाजी अली दरगाह ट्रस्ट एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। इसलिए यह जाति, धर्म या लिंग भेद किए बगैर दुनिया के सभी लोगों के लिए खुला है।