महागठबंधन को लेकर इन दो राज्यों में फंसा है पेंच

नई दिल्ली। 2019 के आम चुनावो को लेकर विपक्ष की एकजुटता वाले महागठबंधन को लेकर कई राज्यों में बात बनती दिख रही है वहीँ दो राज्यों में गुत्थी उलझ रही है।
सूत्रों के मुताबिक करीब सात राज्यों में गैर बीजेपी दल एकजुट हो रहे हैं। इन सात राज्यों में लोकसभा की कुल 255 सीटें हैं। 2014 के आम चुनावो में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने इन सात राज्यों की 255 सीटों में से 150 सीटें जीती थीं।
इन राज्यो में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और जम्मू कश्मीर शामिल हैं। इन सात राज्यों में से उत्तर प्रदेश में गठबंधन को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
सूत्रों की माने तो बिहार में कांग्रेस, राजद और शरद यादव तथा जीतनराम मांझी की पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत फाइनल हो चुकी है। बिहार में कुल 40 सीटें हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने बिहार में 25 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार स्थति बदली हुई है। इस बार बीजेपी को मोदी हवा का लाभ नहीं बल्कि सरकार विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है।
दूसरी तरफ तमिलनाडु में कांग्रेस, डीएमके और फिल्म अभिनेता कमल हासन की पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर अंतिम दौर की बातचीत चल रही है। 2014 के आम चुनाव में तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटों में से सर्वाधिक 37 सीटें एआईएडीएमके ने जीती थीं। इस बार एआईएडीएमके को जयललिता के बिना चुनाव लड़ना है, इसलिए 2014 के चुनाव वाला प्रदर्शन दोहरा पाना उसके लिए बेहद मुश्किल होगा।
झारखण्ड में कांग्रेस, राजद,जेएमएम और बाबूलाल मरांडी की पार्टी के बीच गठबंधन होना तय माना जा रहा है। झारखण्ड में लोकसभा की कुल 14 सीटें हैं, पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने झारखण्ड में 14 में से 12 सीटें जीती थीं।
बात महाराष्ट्र की करें तो यहाँ कांग्रेस- एनसीपी पुराने साथी रहे हैं। यहाँ गठबंधन को लेकर कोई बड़ी मुश्किल नहीं हैं। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं, पिछले लोकसभा चुनावो में बीजेपी ने यहाँ 23 और शिवसेना ने 18 सीटें जीती थीं। इस बार महाराष्ट्र में भी बीजेपी के लिए अपना पिछले प्रदर्शन दोहरा पाना आसान नहीं होगा।
वहीँ कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेकुलर के बीच गठबंधन तय है। कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें हैं। 2014 के आम चुनावो में बीजेपी ने राज्य में 28 में से 14 सीटें जीती थीं।
गठबंधन को लेकर जिन राज्यों में पेंच फंसा है उसमे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं वहीँ पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं। 2014 के आम चुनावो में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने उत्तर प्रदेश में 80 में से 71 सीटें तथा पश्चिम बंगाल में 42 में से 02 सीटें जीती थीं।
जानकारों की माने तो सात राज्यों की 255 सीटों पर यदि विपक्ष गठबंधन कर चुनाव लड़ता है तो निश्चित तौर पर वह बीजेपी को केंद्र की सत्ता से बेदखल कर देगा।
उत्तर प्रदेश में सपा बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर गुत्थी उलझती जा रही है वहीँ पश्चिम बंगाल में कांग्रेस कम्युनिस्टों के साथ गठबंधन करे या ममता के साथ, इस मुद्दे पर राज्य कांग्रेस में दो मत है।
पश्चिम बंगाल का मामला हल करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी सहित सभी पार्टी विधायकों को दिल्ली तलब कर बातचीत की है। सूत्रों की माने तो गठबंधन के लिए राज्य के कांग्रेस नेताओं की पहली पसंद तृणमूल कांग्रेस है जबकि प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन के पक्षधर हैं।
वहीँ उत्तर प्रदेश के बारे में सूत्रों ने कहा कि यदि मध्य प्रदेश और राजस्थान में कुछ सीटें देने की एवज में कांग्रेस को यूपी में सम्मानजनक सीटें मिलती हैं तो वह सपा बसपा के साथ गठजोड़ करेगी अन्यथा पार्टी ने दूसरा विकल्प भी खुला रखा है।
इस विकल्प के तहत कांग्रेस राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी। ऐसी सम्भावना है कि कांग्रेस अपने गठबंधन में पीस पार्टी जैसे कुछ और छोटे दलों को भी शामिल करे लेकिन फ़िलहाल इस बारे में पार्टी की तरफ से कोई जानकारी नहीं है।
पार्टी सूत्रों की माने तो गठबंधन को लेकर अंतिम मुहर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावो के बाद ही लगायी जाएगी। यदि इन राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहता है तो पार्टी अपनी रणनीति बदल भी सकती है।