ममता बोलीं ‘विपक्ष का महागठबंधन संभव, कांग्रेस से परहेज नहीं’
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने कहा है कि वह चाहती हैं कि बीजेपी के खिलाफ देशभर में विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़े।
एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें कांग्रेस से कोई परहेज नहीं हैं लेकिन उन्हें राहुल गांधी के साथ काम करने का अनुभव नही हैं, राहुल गांधी बहुत जूनियर हैं।
ममता बनर्जी ने कहा कि उनके सोनिया गांधी से हमेशा मधुर संबंध रहे हैं और वे निरंतर उनके सम्पर्क में रही हैं। कांग्रेस नेतृत्व के साथ संबंधों के बारे में पूछे जाने पर बनर्जी ने कहा, ‘मैं राजीव जी या सोनिया जी के बारे में जो कह सकती हूं, वो राहुल के बारे में नहीं कह सकती, क्योंकि वह काफी जूनियर हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस के साथ काम करने या उसके साथ तालमेल करने के खिलाफ नहीं हैं तो बनर्जी ने कहा, ‘मुझे कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी मंशा सबको एकजुट करने की है लेकिन यह मेरा अकेले का फैसला नहीं है। यह सभी क्षेत्रीय दलों को फैसला होना चाहिये।
ममता बनर्जी ने कहा कि मुझे किसी के साथ भी काम करने में समस्या नहीं है जब तक कि वे सक्षम हैं और उनकी मंशा, उनका दर्शन और उनकी विचारधारा साफ है।
कुछ विपक्षी पार्टियों के कांग्रेस को छोड़कर संघीय मोर्चा बनाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कुछ पार्टियां कांग्रेस का समर्थन नहीं करती हैं क्योंकि उनकी अपनी क्षेत्रीय मजबूरियां हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं उनपर दोषारोपण नहीं करती हूं, मेरा कहना है कि बीजेपी के खिलाफ मिलकर काम करते हैं। अगर कांग्रेस मजबूत है और कुछ जगहों पर ज्यादा सीट पाती है तो उसे अगुवाई करने दें। अगर क्षेत्रीय दल किसी और जगह एकसाथ हैं तो वे फैसला करने वाले हो सकते हैं।’
ममता बनर्जी ने विश्वास जताया है कि विपक्षी पार्टियों का महागठबंधन संभव है। बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार उतारने पर उन्होंने कहा, ‘मैं वह बात नहीं कह रही हूं, अगर ऐसा 75 सीटों पर किया गया तो खेल खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर (बसपा प्रमुख) मायावती और (सपा प्रमुख) अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में साथ मिलकर काम करते हैं, तो खेल खत्म हो जाएगा। तब चुनाव के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार किया जा सकता है। यह बड़ा परिवार है, इसलिये सामूहिक फैसला होने दें।’
प्रधानमंत्री बनने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैं, यह बेहद नासमझी भरा सवाल है। पहले मैं कहना चाहूंगी कि मेरी कोई मंशा नहीं है। मैंने आपको बताया कि मैं एक साधारण व्यक्ति हूं और अपने काम से खुश हूं। लेकिन हम एक सामूहिक परिवार के सदस्य के तौर पर सबकी मदद चाहते हैं। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिये तैयारी करने की बजाय हमें साथ मिलकर काम करना चाहिये।’
यह कहे जाने पर कि क्या वह खुद को दौड़ से अलग कर रही हैं तो उन्होंने कहा, ‘किसी चीज से इंकार करने वाली मैं कौन होती हूं। मैं जानती हूं कि मैं बेहद अनुभवी नेता और संघर्षों के बाद काफी वरिष्ठ नेता हूं। मैं सात बार सांसद रही हूं, दो बार विधायक और दो बार से मुख्यमंत्री हूं। इसलिये, मैं ऐसा कुछ नहीं कह सकती जो दूसरों को पसंद नहीं हो।’
बता दें कि अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल में गठबंधन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी सहित सभी विधायकों को दिल्ली तलब किया था। सूत्रों के मुताबिक ज़्यादातर विधायक तृणमूल कांग्रेस से गठबंधन के पक्ष में हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की पसंद ममता बनर्जी की जगह कम्युनिस्ट हैं।