ममता के ‘वन टू वन फाइट’ फॉर्मूले पर कांग्रेस तलाश रही बीच का रास्ता
नई दिल्ली(राजाज़ैद) । कल तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने दिल्ली में बीजेपी के बागी नेताओं शत्रुघ्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा तथा अरुण शौरी से मुलाकात कर तीसरे मोर्चे को लेकर बातचीत की थी। इस मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने दस जनपथ पहुंचकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से मुलाकात कर अपनी बात रखी थी।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी से कहा कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल ताकतवर हैं वहां कांग्रेस को उनकी मदद करनी चाहिए। जिससे राज्यों में बीजेपी के खिलाफ वन टू वन फाइट लड़ी जा सके।
हालाँकि आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने अभी तक ममता बनर्जी से हुई बातचीत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन सूत्रों के मुताबिक फ़िलहाल कांग्रेस ममता के फॉर्मूले को तत्काल स्वीकार करने की स्थति में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस यह भी नहीं चाहती कि तीसरे मोर्चे के नाम पर सेकुलर मतों के विभाजन का लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिले।
सूत्रों ने कहा कि फ़िलहाल कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने टीएमसी नेता ममता बनर्जी से उनके फॉर्मूले पर कांग्रेस नेताओं के साथ विचार विमर्श कर रास्ता निकालने का भरोसा दिया है।
सूत्रों ने कहा कि ममता ने जो फार्मूला सुझाया है उसे स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी स्वीकार नहीं करेंगे। वहीँ कांग्रेस की दूसरी मुश्किल यह है कि कई राज्यों के क्षेत्रीय दल राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के पास दो ही विकल्प हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस या तो समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और तृणमूल कांग्रेस से अलग होकर कुछ दलों जैसे मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, राष्ट्रीय जनता दल और शरद यादव गुट को लेकर चुनाव लड़े या फिर ममता के फॉर्मूले पर कोई बीच का रास्ता निकाले। जिससे तीसरा मोर्चा बनने की संभावनाएं समाप्त हो जाएँ।
क्या है ममता का फार्मूला:
सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी चाहती हैं कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल अधिक ताकतवर हैं वहां कांग्रेस उन्हें अगुवाई करने का मौका दे और सीटों के विभाजन का फैसला क्षेत्रीय दलों पर छोड़े।
ममता के फॉर्मूले के अनुसार उत्तर प्रदेश में 80, पश्चिम बंगाल में 42, बिहार में 40, महाराष्ट्र में 48 और तमिलनाडु में 39 सीटें हैं। पांच राज्यों में ये सीटें कुल मिलाकर 249 होती हैं।
ममता के फॉर्मूले के अनुसार इन राज्यों में कांग्रेस अधिक से अधिक सीटें क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़ने को तैयार रहे। यानि उत्तर प्रदेश में 80 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ दस या उससे कम सीटों पर ही चुनाव लड़े तथा शेष रही 70 सीटों पर सपा, बसपा और रालोद में बंटे। वहीँ पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु में कांग्रेस सिर्फ पांच पांच सीटों पर उम्मीदवार खड़े करे तथा शेष सीटें क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़े।
फ़िलहाल ऐसा नहीं लगता कि बीजेपी को पछाड़ने के लिए कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के आगे घुटने टेके और स्वयं दो सौ से कम सीटों और चुनाव लड़े। सूत्रों की माने तो कांग्रेस जल्द ही शीर्ष नेताओं और एक्शन कमेटी की बैठक में ममता के फॉर्मूले पर विचार करेगी।