ब्रिटिश युवती की रेप और हत्या मामले में आरोपियों के बरी होने से मृतक युवती की माँ सदमे में
नई दिल्ली । गोवा के अंजुना बीच पर आठ साल पहले मृत मिली स्कारलेट एडेन कीलिंग को नशीला पदार्थ देने और उसका यौन उत्पीड़न करने के आरोपी दो स्थानीय लोगों को गोवा की एक अदालत द्वारा शुक्रवार को बरी किए जाने के बाद स्कारलेट की मां फियोना मैककियोन ने कहा, ‘‘मैं सदमे में हूं।’’
गोवा बाल अदालत की न्यायाधीश वंदना तेंदुलकर ने दोनों आरोपियों सैमसन डिसूजा और प्लासिडो कारवाल्हो को बरी कर दिया। इसके बाद यहां अदालत परिसर के बाहर फियोना ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह बहुत जल्दबाजी में हुआ और मैं सदमे में हूं। मुझे उनके बरी होने की संभावना नहीं थी। मुझे उम्मीद थी कि उन्हें दोषी ठहराया जाएगा। मैं इस आदेश को चुनौती दूंगी।’’
फरवरी 2008 में स्कारलेट की मौत के बाद फियोना ने कुछ सप्ताह अंजुना में बिताये थे और मामले के सबूत एकत्रित करने की कोशिश की थी।उन्होंने अपनी 15 साल की बेटी को न्याय दिलाने के लिए अपने संघर्ष को याद करते हुए कहा, ‘‘पुलिस में शिकायत दर्ज कराने में भी मुझे बहुत मशक्कत करनी पड़ी थी।’ फियोना ने आरोप लगाया कि गोवा पुलिस की हत्यारों पर मुकदमा चलाने में दिलचस्पी नहीं थी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि जांच करने वाले लोग या तो अक्षम हैं या भ्रष्ट हैं। मुझे नहीं लगता कि वे अक्षम हैं। और मैं यही कह सकती हूं कि अगर कोई अंतरराष्ट्रीय पर्यटक गोवा आता है और उसकी हत्या हो जाती है तो उनके पास इस व्यवस्था में न्याय पाने की कोई आस नहीं बची होती।’’
फियोना ने यह दावा भी किया कि मेडिकल साक्ष्यों से पुष्टि होती है कि कुछ अपराधियों ने उनकी बेटी को अल्कोहल और कोकीन देकर उस पर बुरी तरह से हमला किया, उसके साथ दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी।
गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया लेकिन कहा कि इससे प्रदेश की छवि प्रभावित नहीं होगी।पारसेकर ने कहा, ‘‘मैंने अभी फैसले के बारे में सुना। मैंने पूरे फैसले का अध्ययन नहीं किया है। मुझे लगता है कि फैसला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जब तक मैं फैसले का अध्ययन नहीं कर लूं, मैं विस्तृत प्रतिक्रिया देने की स्थिति में नहीं हूं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘गोवा जैसे सुंदर राज्य में करीब 7-8 साल पहले दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी थी। और आज जब फैसला आया तो मुझे लगता है कि फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देने की जरूरत है।’ पारसेकर ने यह भी कहा कि फैसले से राज्य की छवि प्रभावित नहीं होगी।