क्या अब बीजेपी से दामन छुड़ाने का विकल्प तलाश रहे नीतीश ?
नई दिल्ली/पटना ब्यूरो। बीजेपी द्वारा केंद्र सरकार में जनता दल यूनाइटेड को मात्र एक मंत्री पद दिए जाने के ऑफर को ठुकराने के बाद अब इस बात को लेकर कयास तेज हो गए कि कहीं न कहीं नीतीश कुमार अब बीजेपी से दामन छुड़ाने का विकल्प तलाश कर रहे हैं।
मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेकर पटना लौटने के बाद नीतीश कुमार ने जिस तरह का बयान दिया, उससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि वे कहीं कहीं खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
पटना पहुँचने पर नीतीश कुमार ने दो टूंक शब्दों में कहा अब जंड्यू मोदी सरकार में कभी शामिल नहीं होगा। सिर्फ एक मंत्री पद दिए जाने के बीजेपी के प्रस्ताव पर नीतीश कुमार ने साफ़ तौर पर कहा कि जनता दल यूनाइटेड को केंद्र सरकार में सांकेतिक भागीदारी की जरूरत नहीं है और जेडीयू के सभी लोगों की यही राय है।
नीतीश कुमार ने कहा कि 29 मई की बैठक में बातचीत हुई थी उसमें अमित शाह ने मंत्रिमंडल पर चर्चा करने के लिए कहा था। अमित शाह ने कहा था कि सभी घटक दलों से एक-एक को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। जब एक की बात आई तो मैंने कहा था कि इसकी कोई जरूरत नहीं है। जेडीयू की कोर टीम ने कहा यह उचित नहीं है।
नीतीश कुमार के लहजे में नारजगी थी हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि कोई नाराज़गी नहीं है। नीतीश कुमार ने कहा, ‘’मैंने कुछ मांगा ही नहीं. जेडीयू की तीन मंत्रियों की मंत्रिमंडल में डिमांड की बात गलत है। कोई जरूरी नहीं है कि हम मंत्रिमंडल में शामिल हों।’’ उन्होंने यह भी कहा कि हमें कोई अफसोस या परेशानी नहीं है। बीजेपी से यह कह दिया है। हम एनडीए के साथ हैं और रहेंगे।
नीतीश ने कहा, ‘’सरकार के गठन पर मैं कोई प्रतिक्रिया नही दूंगा। किसे मंत्री बनाया जाए यह बीजेपी का अंदरूनी मसला है। लोकसभा चुनाव में गरीब-गुरबा, अतिपिछड़ा और महिला सभी ने साथ दिया। बीजेपी पूर्ण बहुमत में है, ये उनका निर्णय होगा किसे मंत्री बनायेंगे।’’
नीतीश कुमार ने यहाँ तक कहा कि “हम सिर्फ किशनगंज हारे। बीजेपी 17 जीती तो पांच मंत्री बनाये। नीतीश ने कहा, ‘’हम आगे भी कभी भी नहीं कहने वाले हैं और किसी भी ऐसी बैठक में शामिल भी नहीं होंगे।’’
नीतीश कुमार के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं, माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार बीजेपी से अपना दामन छुड़ा सकते हैं। बिहार में अगले वर्ष अक्टूबर नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
जानकारों की माने तो विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार बीजेपी से पीछा छुड़ाने का विकल्प तलाश कर सकते हैं। जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमारके पास अकेले दम पर विधानसभा चुनाव लड़ना भी एक विकल्प है। वहीँ राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता, इसलिए किसी भी संभावना को दरकिनार न करते हुए संभव है कि नीतीश कुमार एक बार फिर कुछ शर्तो के साथ महागठबंधन की तरफ रुख करें।
जानकारों की माने तो नीतीश कुमार को बीजेपी की भगवा राजनीति से परहेज है। वे लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी की भगवा राजनीति का हिस्सा बनने से बचते रहे लेकिन इसके बावजूद कुछ चुनावी मंचो से नीतीश कुमार की मौजूदगी में वंदेमातरम के नारे लगने से नीतीश कुमार का अल्पसंख्यक वोट बैंक अवश्य कम हुआ। जिसका नतीजा नीतीश कुमार ने किशनगंज लोकसभा सीट पर देख भी लिया।
ऐसे में नीतीश कुमार को अब यह तय करना होगा कि वे आज जिस पार्टी के साथ खड़े हैं, यदि उसी के साथ विधानसभा चुनाव में जाएंगे तो इस गठबंधन का लाभ जदयू को होगा या बीजेपी को होगा?