बिना बसपा और सपा के भी बन सकता है महागठबंधन, ये होगी 2019 की तस्वीर
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनावो में विपक्ष को एकजुट कर राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाये जाने के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। विपक्ष का महागठबंधन बनाये जाने के लिए और विपक्ष को एकजुट करने के काम में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और जदयू के बागी सांसद शरद यादव इसमें अहम भूमिका अदा कर रहे हैं।
विपक्ष को एकजुट कर महागठबंधन बनाये जाने में तीन जगह पेंच फंसा हुआ है। पहले दो पेंच उत्तर प्रदेश को लेकर हैं। जहाँ समाजवादी पार्टी और बसपा गठबंधन को लेकर अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं हैं। वहीँ तीसरा पेंच पश्चिम बंगाल में एक दूसरे के घोर विरोधी कम्युनिस्ट और ममता बनर्जी दोनो को गठबंधन में लाये जाने को लेकर है।
हालाँकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था लेकिन हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यह कहकर अलग जाने के संकेत दिए थे कि उनकी दोस्ती राहुल गांधी से है उनकी पार्टी से नहीं।
वहीँ दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावो में कांग्रेस और सपा के गठबंधन को प्रदेश की जनता ने ख़ारिज कर दिया था। जिसके चलते तब सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी मात्र 47 सीटों और कांग्रेस सिर्फ 7 सीटों पर सिमट कर रह गयी।
वहीँ सपा सूत्रों की माने तो अब पार्टी में फिर से एका होने जा रहा है और सपा में महत्वपूर्ण निर्णयों की कमान स्वयं मुलायम सिंह यादव संभाल सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो सपा के महागठबंधन में शामिल होने की उम्मीद लगभग समाप्त हो जाती है।
वहीँ दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी में भी महागठबंधन को लेकर कुछ ऐसे ही तेवर हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने विधानसभा चुनावो में भी किसी पार्टी से गठबंधन किये जाने से इंकार कर दिया था। गुजरात में हाल में हुए विधानसभा चुनावो में भी बहुजन समाज पार्टी ने विपक्ष की एकता से अलग जाते हुए अपने उम्मीदवार खड़े किये थे। ऐसे में फ़िलहाल यह तय माना जा रहा है कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनता है तो उत्तर प्रदेश में से सपा और बसपा इसमें शामिल नहीं होंगे।
तीसरा पेंच पश्चिम बंगाल को लेकर है। यहाँ ममता बनर्जी महागठबंधन में शामिल होना चाहती हैं लेकिन उन्हें कम्युनिस्ट पार्टियों के इसमें शामिल होने से परहेज है। हालाँकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की हाल ही में सम्पन्न हुई राष्ट्रीय बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि 2019 के चुनाव में पार्टी किसी से कोई गठबंधन नहीं करेगी लेकिन कुछ राज्यों में कांग्रेस भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गठबधन करने के पक्ष में है। ऐसे में जब तक यह समाधान न हो जाए कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और ममता बनर्जी की टीएमसी में से एक ही पार्टी गठबंधन में शामिल हो सकती है।
वहीँ कांग्रेस सूत्रों की माने तो पार्टी के लिए सपा- बसपा का महागठबंधन में शामिल होना अहम नहीं है। सूत्रों ने कहा कि महागठबंधन के लिए अब तक 7 राजनैतिक दल खुलकर सामने आये हैं। इनमे कांग्रेस के अलावा शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल, शरद यादव गुट की नई बनने वाली पार्टी, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में यदि सपा- बसपा महागठबंधन में शामिल नहीं होते तो महागठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल और कुछ अन्य छोटे दलों को शामिल किया जा सकता है। पश्चिम बंगाल को लेकर सूत्रों ने कहा कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा बनेगी भले ही पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को महागठबधन से बाहर रखना पड़े।
सूत्रों ने कहा कि सीटों के बंटवारे को लेकर अभी कोई बात नहीं हुई है। अभी कई ने दलों के फैसले का इन्तजार किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक मई के महीने तक महागठबंधन की तस्वीर साफ़ हो जायेगी। सूत्रों ने कहा कि इस वर्ष मार्च अप्रेल में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती कर्नाटक के चुनाव हैं।
सूत्रों ने कहा कि इस वर्ष नवंबर – दिसंबर तक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। कर्नाटक में चुनाव सम्पन्न होने के बाद महागठबंधन बनाने के काम में तेजी आएगी। सूत्रों ने कहा कि तब तक जेल में बंद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के भी ज़मानत पर रिहा होने की सम्भावना है।