बजट: विपक्ष ने बताया अर्थव्यवस्था की बर्बादी का रोड मैप, पढ़िए -किसने क्या कहा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में आज पेश किये गए आम बजट को जहाँ भारतीय जनता पार्टी और सरकार से जुड़े लोगों ने इसकी सराहना की है वहीँ विपक्ष ने बजट को अर्थव्यवस्था की बर्बादी का रोडमैप करार दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर कहा कि “4 साल बीत गये, लेकिन किसानों को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. 4 साल बीत गये युवाओं को रोजगार नहीं मिला. उन्होंने तंज किया कि सिर्फ एक साल और बचे है।”
वहीं आम आदमी पार्टी ने बजट को पकोड़ा बजट बताया है। आप ने जेटली के बजट को ‘पकौड़ा बजट’ करार दिया. आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि बजट में किसान की कर्जमाफी का कोई रास्ता निकालने की तात्कालिक जरूरत को पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा ‘‘यह आम आदमी को निराश करने वाला बजट है यह बजट सरकार की दृष्टि और सोच के मुताबिक ‘पकौड़ा बजट’ साबित होगा।”
आम बजट को लेकर निराशा जताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र दिल्ली के साथ ‘‘सौतेला व्यवहार जारी रखे हुए है। केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में महत्वपूर्ण ढांचागत विकास के लिए कुछ वित्तीय सहायता की उन्हें उम्मीद थी। केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘मैं देश की राजधानी में ढांचागत विकास के लिए कुछ वित्तीय सहायता की उम्मीद कर रहा था। मुझे निराशा है कि केंद्र का दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार जारी है।”
बजट पर प्रतिक्रिया दते हुए पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि “कृषि क्षेत्र का तनाव बना रहेगा, मेडिकल हेल्थ केयर एक बड़ा जुमला है। उन्होंने कहा कि निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए बजट में कुछ नहीं है।
चिदंबरम ने कहा कि बजट में औसत करदाताओं को कर के मामले में कोई राहत नहीं दी गयी है। उन्होंने सवाल दागा कि क्या वित्त मंत्री गंभीर हैं? चिदंबरम ने कहा कि 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली राजकोषीय मजबूती की परीक्षा में फेल हुए हैं और इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे।
उन्होंने कहा कि 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.2% पर रखा गया था लेकिन इसके 3.5% पर पहुंचने का अनुमान है।
जेटली के बजट भाषण खत्म करने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में चिदंबरम ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री राजकोषीय मजबूती की परीक्षा में विफल रहे हैं और इसके गंभीर परिणाम होंगे।”
कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, “यह बजट वास्तविकता से परे है। यह सरकार हमेशा चुनावों को ध्यान में रखकर बातें करती है और यहां भी वही किया गया है।
मोइली ने कहा कि देश के लोगों को इस बजट से निराशा हाथ लगी है।” उन्होंने कहा, “नौकरियां खत्म हो रहीं हैं, फैक्ट्रियां बन्द हो रही हैं।लोगों को रोजगार चाहिए, लेकिन सरकार ने इस बारे में कोई बात नहीं की।”
कांग्रेस के लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने कहा, “हमें प्रतीक्षा थी कि सरकार कुछ बड़ी घोषणाएं करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस बजट में मध्य वर्ग की उपेक्षा की गयी है. रोजगार को लेकर कोई बात नहीं हुई है। यह बहुत निराशाजनक बजट है।”
माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा, ‘यह एक जुमला बजट है। इसमें किसानों, मजदूरों और नौजवानों के लिए कुछ नहीं है। सरकार स्थायी नहीं, ठेके वाली नौकरियों की बात कर रही है।”
सपा नेता किरणमय नंदा ने इसे ‘बोगस बजट’ बताते हुए कहा कि इसमें समाज के सिर्फ धनाढ्य वर्ग के लोगों का खास ख्याल रखा गया है। इसमें गरीब, किसान, नौजवान, दलित, पिछड़े, शोषित एवं छोटे कारोबारियों के उत्थान का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
बसपा के राज्यसभा सदस्य वीर सिंह ने कहा कि दलित और अल्पसंख्यकों के कल्याण के सरकार के दावों की हकीकत बजट से उजागर हो गयी। उन्होंने कहा कि बजट में सरकार द्वारा अल्पसंख्यक और दलित वर्ग के समुदायों के विकास के लिये कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस बजट से अमीर और गरीब की खाई में इजाफा तय है।