फैसले की कॉपी कानून मंत्री को कैसे मिली पहले, उठे सवाल

फैसले की कॉपी कानून मंत्री को कैसे मिली पहले, उठे सवाल

नई दिल्ली। जस्टिस बीएच लोया की संदिग्ध मौत की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराये जाने की मांग वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने फैसले में सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाए जाने के फौरन बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कांफ्रेंस किया, जिसमें उन्होंने फैसले की कॉपी से पढ़कर कोर्ट के आदेशों को सुनाया। इसे लेकर ही विवाद गहरा गया है और कानून मंत्री सवालों के घेरे में आ गए हैं।

जज लोया केस के एक याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला ने सवाल उठाते हुए कहा कि फैसले के फौरन बाद जब उसकी कॉपी मामले के याचिकाकर्ताओं और वकीलों को भी नहीं मिली थी, तो यह रविशंकर प्रसाद के पास कैसे पहुंची।

तहसीन पूनावाला ने ट्विटर पर ट्वीट कर कहा, “कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को फैसले की कॉपी कैसे मिली, जबकि ये अभी जारी ही नहीं की गई है। यह संभव भी कैसे हो सकता है।

पूनावाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट फैसले की कॉपी किसी को भी तभी मिलती है जब वह सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हो जाती है। लेकिन फैसले के फौरन बाद सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट ठप हो गई थी, जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों ने कहा कि फैसले की कॉपी अपलोड होने में समय लगेगा और उसके बाद ही उसकी सर्टिफाइड कॉपी किसी को उपलब्ध हो पाएगी। इसके बावजूद उसी समय रविशंकर प्रसाद के पास फैसले की कॉपी होना सवाल खडे़ करता है।पूनावाला के इस सवाल पर अभी तक बीजेपी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणजीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “”सचमुच यह कौतूहल का विषय है। कानून मंत्री के पास सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की प्रति पहले से कैसे आई, जबकि उस समय न तो मीडियाकर्मियों और न ही वकीलों को फैसले की कॉपी मिली थी? और उसी समय सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाई भी हैक कर ली गई थी।” सुरजेवाला ने कटाक्ष करते हुए कहा, बहुत ज्यादा पारदर्शिता और निष्पक्षता !

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