फेसबुक पोस्ट को लेकर प.बंगाल में सांप्रदायिक बवाल
कोलकाता। पश्चिमी बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में मंगलवार को एक आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट की वजह से सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई। हालात पर काबू पाने के लिए बीएसएफ की चार कंपनियों को हिंसा प्रभावित इलाके में तैनात किया गया है।
पीटीआई के खबर के अनुसार, बसीरहाल सब-डिविजन के बदुड़िया थाना क्षेत्र में सोमवार रात से ही एक फेसबुक पोस्ट को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसा शुरू हो गई थी। इस सिलसिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था।
हिंसक भीड़ ने कई स्थानों पर रास्ते बंद कर दूसरे समुदाय के लोगों पर हमले किया और कई दुकानों को तहस-नहस कर दिया। हिंसा में फिलहाल किसी के हताहत होने का समाचार नहीं है। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया हिंसा प्रभावित इलाके में सुरक्षाबल की चार कंपनियां तैनात की गई हैं।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने बादुड़िया हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बातचीत की थी। ममता ने राज्यपाल पर उन्हें धमकाने का आरोप लगाया है। हिंसा की निंदा करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह गंभीर मामला है और उन्हें इसे गंभीरतापूर्वक संभालने दिया जाए।
राज्यपाल का बर्ताव ‘भाजपा के ब्लॉक अध्यक्ष’ जैसा: ममता
ममता बनर्जी ने कहा कि राज्यपाल “भाजपा के ब्लॉक अध्यक्ष” की तरह व्यवहार कर रहे थे। भाजपा का पक्ष लेते हुए उन्होंने जिस तरीके से बात की, वह इतना अपमानजनक था कि एक बार उनके मन में आया कि सब छोड़ दूं (त्यागपत्र दे दूं)। राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी पर हमला बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वह किसी की दया पर निर्भर नहीं हैं। राज्यपाल इस तरीके से उनसे बात नहीं कर सकते। ममता बनर्जी का कहना है कि केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी का एक एजेंडा है। उन्होंने लोगों को मारने के लिए गऊ रक्षक दल बनाया है। दंगे भड़काने के लिए नफरत फैलाई जा रही है।
मूकदर्शन नहीं बने रह सकते: राज्यपाल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों पर हैरानी जाहिर करते हुए राज भवन की ओर से कहा गया है कि राज्य के हालत को देखते हुए राज्यपाल मूकदर्शन नहीं बने रह सकते हैं। बयान के मुताबिक, बातचीत के दौरान ऐसा कुछ नहीं हुआ, जिसे लेकर ममता बनर्जी अपमानित महसूस करें। मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच बातचीत गोपनीय थी, जिसे सार्वजनिक करने की अपेक्षा नहीं की जाती है।