पढ़िए: क्या है मोस्ट फेवर्ड नेशन, पाक से ये स्टेटस वापस लिए जाने का क्या होगा असर

पढ़िए: क्या है मोस्ट फेवर्ड नेशन, पाक से ये स्टेटस वापस लिए जाने का क्या होगा असर

नई दिल्ली। पुलवामा हमले के बाद एक्शन में आयी केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया है। पाकिस्तान से यह दर्जा वापस लिए जाने के बाद पाकिस्तान पर इसका क्या असर पड़ेगा ? यह जानने से पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा क्या होता है।

विश्व व्यापार संगठन(WTO) के नियम के अनुसार, WTO के प्रत्येक सदस्य को WTO के सामान्य समझौतों के अंतर्गत टैरिफ और व्यापार (GATT) के तहत अन्य सदस्य देशों को यह दर्जा देना आवश्यक है।

यह दर्जा व्यापार में सहयोगी राष्ट्रों को दिया जाता है। इसमें एमएफएन राष्ट्र को भरोसा दिलाया जाता है कि उसके साथ भेदभाव रहित व्यापार किया जाएगा। डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार भी ऐसे दो देश एक-दूसरे से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं कर सकते। एमएफएन का दर्जा मिल जाने पर दर्जा प्राप्त देश को इस बात का आश्वासन रहता है कि उसे कारोबार में नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।

मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लिए जाने से पाक को क्या होगा नुकसान:

एमएफएन का दर्जा व्यापार में दिया जाता है। इसके तहत आयात-निर्यात में आपस में विशेष छूट मिलती है। यह दर्जा प्राप्त देश कारोबार सबसे कम आयात शुल्क पर होता है। डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश खुले व्यापार और बाजार से बंधे हैं लेकिन एमएफएन के कायदों के तहत देशों को विशेष छूट दी जाती है।

सीमेंट, चीनी, ऑर्गेनिक केमिकल, रुई, सब्जियों और कुछ चुनिंद फलों के अलावा मिनरल ऑयल, ड्राई फ्रूट्स, स्टील जैसी कमोडिटीज और वस्तुओं का कारोबार दोनों देशों के बीच होता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि एमएफएन वापस लेने से बहुत फर्क नहीं पड़ता क्योंकि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का स्तर अचानक कम हो गया है। वहीं दूसरा पक्ष का मानना है कि पाकिस्तान इस समय बड़ी आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है लेकिन सीमा पर कितना भी तनाव रहा हो व्यापार पर कुछ असर नहीं पड़ता रहा है। इस फैसले से पाकिस्तान को आर्थिक चोट पहुंचनी तय है।

कब मिला था पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड का दर्जा:

भारत ने 1996 में पाकिस्तान को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (एमएनएफ) का दर्जा दिया था। भारत और पाकिस्तान दोनों ही इसके लिए हस्ताक्षरकर्ता हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें एक-दूसरे और डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्य देशों के साथ व्यापारिक साझेदार के रूप में व्यवहार करना होगा।

हालांकि, पाकिस्तानी सरकार ने अभी तक भारत को एमएफएन का दर्जा नहीं दिया है और यह 1,209 वस्तुओं की नकारात्मक सूची रखता है, जिसे भारत से आयात करने की अनुमति नहीं है। पाकिस्तान वाघा मार्ग के माध्यम से भारत से केवल 137 उत्पादों का निर्यात करने की अनुमति देता है।

पिछले साल, जब पाकिस्तान सरकार से पूछा गया कि क्या वह भारत को एमएफएन का दर्जा देने पर विचार कर रही है, तो वाणिज्य, कपड़ा, उद्योग और निवेश के लिए प्रधानमंत्री के सलाहकार, अब्दुल रजाक दाऊद ने कहा, “फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है”। उन्होंने कहा, “वर्तमान में, हमारे पास भारत को MFN का दर्जा देने की कोई तत्काल योजना नहीं है।”

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TeamDigital