पढ़िए! क्या है अनुच्छेद 35A, सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई का जम्मू कश्मीर में क्यों हो रहा विरोध

पढ़िए! क्या है अनुच्छेद 35A,  सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई का जम्मू कश्मीर में क्यों हो रहा विरोध

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35A हटाने की सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई के विरोध में कश्मीर के कई इलाको में बंद रखा गया और सोमवार को भी बंद रखने का आह्वान किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35-ए की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की तारीख तय किये जाने को लेकर ज्वाइंट रेसिस्टेंट लीडरशिप (जेआरएल) ने रविवार और सोमवार को दो दिवसीय बंद का आह्वान किया है।

बंद को देखते हुए राज्य में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गए हैं। यहाँ तक कि जम्मू बेस कैंप से अमरनाथ यात्रा के जत्थे की रवानगी दो दिन के लिए स्थगित कर दी गई है। घाटी में बनिहाल से बारामुला के बीच रेल सेवा को भी दो दिन के लिए स्थगित कर दी गई है।

अनुच्छेद 35A से छेड़छाड़ के विरोध में इस बंद का आयोजन अलगाववादी नेताओं ने किया है। हुर्रियत (जी) प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी, हुर्रियत (एम) प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक व जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक के नेतृत्व वाली ज्वाइंट रेजीस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) इस बंद का समर्थन कर रहे हैं। बार एसोसिएशन, ट्रांसपोर्टर एवं व्यापारिक संगठनों सहित विभिन्न संगठनों ने जेआरएल के बंद का समर्थन किया है।

वहीँ दूसरी तरफ बीजेपी के अलावा कोई भी राजनैतिक दल जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 35A हटाने के पक्ष में नहीं है। पीडीपी, नेकां व सीपीआई (एम) और कांग्रेस इस मुद्दे पर अपना स्टेण्ड पहले ही क्लियर कर चुके हैं।

35A को लेकर जम्मू कश्मीर में शुरू हुए घमासान को देखते हुए राजभवन ने तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर सुनवाई टालने का आग्रह किया है। हालाँकि सुनवाई टालने के पीछे पंचायत, स्थानीय निकाय तथा नगर निकाय चुनाव की तैयारियों को हवाला दिया गया है।

जम्मूकश्मीर में धारा370 को हटाने की मांग करती रही है बीजेपी:

भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस शुरू से ही जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने की मांग करते रहे हैं। देश में संविधान 26 जनवरी 1951 को लागू हुआ। इसमें अनुच्छेद 370 भी था जो जम्मू कश्मीर को एक विशेष दर्जा देता था लेकिन 1954 में इसी अनुच्छेद में एक उपबंध के रूप में अनुच्छेद 35ए जोड़ दिया गया। यह मूल संविधान का हिस्सा ही नहीं है बल्कि परिशिष्ट में रखा गया है। इसीलिए कई सालों तक इसका पता ही नहीं चला।

बताया जाता है कि अनुच्छेद 35ए को न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा में कभी पेश किया। इसे सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश (प्रेसिडेंशियल आर्डर) के जरिए अनुच्छेद 370 में जोड़ दिया गया। संविधान के अनुच्छेद 368 के मुताबिक, चूंकि यह संसद से पारित नहीं हुआ, इसलिए यह एक अध्यादेश की तरह छह महीने से ज्यादा लागू नहीं रह सकता।

क्या है अनुच्छेद 35A :

1 – जम्मू एवं कश्मीर के बाहर का कोई भी व्यक्ति राज्य में अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता।
2 – दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति यहां का नागरिक नहीं बन सकता।
3 – राज्य की लड़की किसी बाहरी लड़के से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार समाप्त हो जाएंगे।
4 – अनुच्छेद 35A के कारण ही पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थी अब भी राज्य के मौलिक अधिकार तथा अपनी पहचान से वंचित हैं।
5 – जम्मू एवं कश्मीर में रह रहे लोग जिनके पास स्थायी निवास प्रमाणपत्र नहीं है, वे लोकसभा चुनाव में तो वोट दे सकते हैं लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव में वोट नहीं दे सकते हैं।
6 – यहां का नागरिक केवल वह ही माना जाएगा जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या इससे पहले या इस दौरान यहां पहले ही संपत्ति हासिल कर रखी हो।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital