पूर्व वित्तमंत्री का सवाल: क्या मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला काले धन को सफेद करने के लिए लिया था

पूर्व वित्तमंत्री का सवाल: क्या मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला काले धन को सफेद करने के लिए लिया था

नई दिल्ली। रिज़र्व बैंक द्वारा नोटबंदी के दौरान पुराने एक हज़ार और पांच सौ रुपये के 99 फीसदी नोट वापस आने के दावे पर पूर्व वित्त मंत्री पीचिदंबरम ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक फीसदी प्रतिबंधित नोट वापस नहीं आ सके और आरबीआई के लिए यह शर्म की बात है।

चिदंबरम ने सवाल किया कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी का यह फैसला काले धन को सफेद करने के लिए लिया था ? उन्होंने ट्विटर पर कई ट्वीट किये। चिदंबरम ने कहा कि आरबीआई के पास जितनी राशि वापस आई है, उससे कहीं अधिक लागत नए नोटों को छापने में लग गई।

उन्होंने कहा कि “प्रतिबंधित किए गए 1,544,000 करोड़ रुपयों में से सिर्फ 16,000 करोड़ रुपये के नोट वापस नहीं आए, जो कुल प्रतिबंधित राशि का एक फीसदी है, नोटबंदी की सिफारिश करने वाली आरबीआई के लिए यह शर्म की बात है।”

उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसा कि “आरबीआई ने 16,000 करोड़ रुपये कमाए, लेकिन नए नोटों की छपाई में 21,000 करोड़ रुपये गंवाए! अर्थशास्त्रियों को नोबल पुरस्कार दिया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि “99 फीसदी नोट वैधानिक तौर पर बदले जा चुके हैं! क्या नोटबंदी काले धन को सफेद करने के लिए बनाई गई योजना थी।”

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी सालाना रपट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में 1,000 रुपये के कुल 8.9 करोड़ नोट, जिसका मूल्य 8,900 करोड़ रुपये हैं, वह प्रणाली में वापस नहीं लौटा, जबकि उस समय प्रचलन में 1,000 रुपये के कुल 670 करोड़ नोट थे. इस तरह आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा के दौरान देश में प्रचलन में रहे 1,000 रुपये के 1.3 फीसदी नोट ही वापस नहीं आए हैं।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital