पीएम के तंज पर विपक्ष का पलटवार, कहा ‘यूपीए एकजुट, बिखर रहा एनडीए’
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विपक्ष के महागठबंधन को लेकर दिए गए बयान पर विपक्ष ने पलटवार किया है। कांग्रेस, वामपंथी दल और अन्य ने प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए कहा कि वो घबराहट में ऐसा बोल रहे हैं और एनडीए बिखर रहा है न कि विपक्ष, जो एकजुट है। विपक्ष ने दावा किया कि वह 2019 में बीजेपी को हराएगा।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि विपक्ष की एकता टूटने का प्रधानमंत्री का बयान ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ की तरह है। सच्चाई ये है कि तानाशाह एवं अराजकतावादी जैसे प्रधानमंत्री के खिलाफ पूरा देश एकजुट हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई गठबंधन बिखरा है तो एनडीए का न कि यूपीए का. 2019 में ताश का घर बिखरने वाला है।
सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी के सहयोगियों, शिवसेना और तेलुगू देशम पार्टी ने उनका साथ छोड़ दिया है और शिरोमणि अकाली दल भी अलग सुर अलाप रहा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को मनाने के लिए राज्यसभा उपसभापति का पद जनता दल (यूनाईटेड) को दिया गया।
सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री घबरा गए हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री का मूल नारा था कि भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा’ जो अब बदलकर हो गया है ‘जो लोग भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएंगे उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 48 हज़ार करोड़ रुपए के राफेल घोटाले और छत्तीसगढ़ में 36 हज़ार करोड़ रुपए के पीडीएस घोटाले पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले की ज़िम्मेदारी क्यों नहीं तय की जो देश का सबसे बड़ा नौकरी घोटाला है।
वहीँ पीएम मोदी के बयान पर एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि अगले लोकसभा चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष की एकता और मजबूत होगी। सीपीआई के डी राजा ने कहा कि विपक्ष की एकता पूरी तरह कायम है और एनडीए में बिखराव हो रहा है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ मीडिया संस्थानों को दिए साक्षात्कार में कहा है कि विपक्ष की एकता निजी अस्तित्व को बचाए रखने के लिए है ना कि विचारधारा के समर्थन के लिए है और निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए है न कि जन आकांक्षाओं के लिए। उनके साक्षात्कार के बाद विपक्षी दलों के बयान आए हैं।
मोदी ने कहा कि महागठबंधन वंशवाद को लेकर है न कि विकास के लिए है और पूरी तरह सत्ता की राजनीति है न कि लोगों के जनादेश की राजनीति है और देखना ये है कि ये चुनाव से पहले टूटता है या उसके बाद।