नोट बंदी के दौरान नामी चैनलों ने फैलाई थीं ये अफवाहें

नोट बंदी के दौरान नामी चैनलों ने फैलाई थीं ये अफवाहें

नई दिल्ली(राजाज़ैद)। 8 नवंबर 2016 को देश में पांच सौ और एक हज़ार के नोट की नोटेबंदी के बाद अफवाहों का बाजार भी गर्म रहा।

अफवाह फैलाने में वे लोग भी शामिल दिखे जो खुद को देश का सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार साबित करने की कोशिशों में जुटे रहते हैं।

नोट बंदी के दौरान न सिर्फ नए नोटों को लेकर अफवाहें फैलाई गयीं बल्कि नोट बंदी पर लोगों की नाराज़गी को लेकर भी अफवाहें इधर से उधर होती रहीं। सबसे बड़ी अफवाह दो हज़ार के नए नोट को लेकर उड़ाई गयी।

देश के दो नामी चैनलों ने नोट बंदी पर दिखाए अपने कार्यक्रम में दावा किया कि दो हज़ार के नोट में अनेको सिक्युरिटी फीचर्स मौजूद हैं। ये नोट सामान्य तरह का नोट नहीं है। इतना ही नहीं चैनलों का दावा था कि दो हज़ार के नोट के अंदर नैनो चिप लगायी है। जिसे ट्रेस किया जा सकता है।

वहीँ एक चैनल का दावा था कि सेक्युरिटी फीचर्स के चलते अब काला धन जमा करने वाले लोगों की खैर नहीं है। चैनल का दावा था कि दो हज़ार के नोट को कहीं छिपाकर नहीं रखा जा सकता। नैनो चिप के कारण इसकी जानकारों सरकार तक पहुँच सकती है। यानि सरकार पता कर सकती है कि किसकी तिजोरी में कितने दो हज़ार के नोट रखे हैं।

दूसरी बड़ी अफवाह यह भी फैलाई गयी कि यदि दो हज़ार या पांच सौ रुपये के नोट को मोबाईल के क्यू आर कोड स्केनर से स्कैन करो तो नोट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाषण देते हुए दिखाई देंगे। यह अफवाह ठीक वैसी ही थी जैसे वर्षो पहले गणेश जी के दूध पीने की अफवाह फैली थी और लोग दूध लेकर मंदिरो की तरफ दौड़ पड़े थे।

नोट बंदी के दौरान तीसरी बड़ी अफवाह दो हज़ार के नोट की क्वालिटी को लेकर फैली थी। दो हज़ार के नोट से रंग छूटने पर मंत्री जी ने भी तर्क दे दिया कि जिस नोट से रंग छूटे वह नोट असली है। जबकि अब जो दो हज़ार के नोट आरहे हैं उनसे रंग नहीं छूट रहा। तो क्या यह मान लिया जाए कि अब जो नोट एटीएम या बैंको से मिल रहे हैं वे नकली हैं ?

 

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TeamDigital