नोटबंदी : मोदी सरकार को एक और झटका
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार को आज उस समय एक और झटका उस समय लगा जब शीर्ष अदालत ने पांच और 1000 रुपए की नोटबंदी से जुडे़ मामलों पर देश के विभिन्न हाईकोर्ट में चल रहे मामलों पर रोक से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जनता को उनसे तत्काल राहत मिल सकती है।
मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की तीन सदस्यीय खंडपीठ केन्द्र के इस दावे से संतुष्ट नहीं हुयी कि विमुद्रीकरण सफल रहा है क्योंकि अब तक छह लाख करोड रुपए से अधिक की राशि बैंकों और डाकघरों में जमा करायी जा चुकी है और दिसंबर के अंत तक करीब दस लाख करोड रूपए और जमा होने की उम्मीद है जो नकदी की चोरबाजारी रोकेगी।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों में इस प्रकरण से संबंधित सुनवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। केन्द्र सरकार को शीर्ष अदालत से यह लगातार दूसरा झटका लगा है। न्यायालय ने 18 नवंबर को उच्च न्यायालयों को आठ नवंबर की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने से रोकने से इंकार कर दिया था। न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि जनता बुरी तरह प्रभावित है और ऐसी स्थिति में अदालतों के दरवाजे बंद नहीं किये जा सकते जिससे दंगा हो जाये।
विमुद्रीकरण के मामलों में उच्च न्यायालय में कार्यवाही पर रोक लगाने की सरकार के पुरजोर आग्रह के बावजूद प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हम इस पर रोक नहीं लगाना चाहते। सरकार का तर्क था कि अब स्थिति काफी बेहतर है और बैंकों के सामने लंबी कतारें कम हुयी हैं तथा धन के लेन देने के मामले में डिजिटल प्रक्रिया के इस्तेमाल में काफी इजाफा हुआ है। पीठ का कहना था, बहुत सारे मुद्दे हैं। उच्च न्यायालयों से लोगों को तत्काल राहत मिल सकती है।
उच्च न्यायालयों के सामने आये कुछ मुद्दों में सप्ताह में 24 हजार रुपए बैंक से निकालने की सीमा खत्म करने, अस्पताल और पेट्रोल पंप जैसे सार्वजनिक सेवा केन्द्रों पर पुराने हजार और पांच सौ रूपए के नोटों के इस्तेमाल की अनुमति देना और एमटीएम मशीनों में पर्याप्त धन सुनिश्चित करने का निर्देश देने विषय शामिल हैं।
सुप्रीमकोर्ट ने क्या कहा :
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी का कहना था कि अब तक छह लाख करोड रुपए से अधिक की राशि जमा करायी जा चुकी है और बैंकों, एटीएम मशीनों तथा डाकघरों में लोगों की कतारों में जबर्दस्त कमी आयी है। उनका यह भी कहना था कि यदि आवश्यक हुआ तो एक हजार और पांच सौ रुपए के नोट जमा कराने की अवधि 30 दिसंबर से आगे भी बढ़ाई जा सकती है। खंडपीठ सरकार को राहत देने के लिये इस तरह की दलीलों से प्रभावित नहीं हुयी।
रोहतगी ने कहा कि एक हजार और पांच सौ रुपए के नोट देश की मान्य मुद्रा का 80 से 85 प्रतिशत हैं और इनके विमुद्रीकरण का उददेश्य 70 साल से दबे ऐसे धन को चलन से हटाना है। उन्होंने कहा, यदि इसे हटाने में 20-30 दिन और लगते हैं तो भी मुक्षे नहीं लगता कि यह कोई बडी बात है। यह अभी तक सफल है। अटार्नी जनरल ने कहा , इस धन का उपयोग देश की अर्थव्यवस्था में होगा और कर्ज देने की ब्याज दरें कम होंगी। लेकिन पीठ ने कोई राहत देने की बजाये केन्द्र की स्थानांतरण याचिका पर सिर्फ उन प्रतिवादियों को नोटिस जारी किये जिन्होंने विभिन्न उच्च न्यायालयों में याचिका दायर की है। केन्द्र चाहता है कि इन मामलों की सुनवाइ्र शीर्ष अदालत या फिर कोई एक उच्च न्यायालय करे।
शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार की स्थानांतरण याचिका दो दिसंबर के लिये सूचीबद्ध करते हुये कहा कि वह मुख्य मामलों में शुक्रवार को सुनवाई करेगी जिसमें जनता के कुछ लोगों और वकीलों ने अधिसूचना की वैधानिकता पर ही नहीं बल्कि इस विवादास्पद फैसले पर अमल के लिये पूरी तैयारी नहीं करने सहित कई अन्य मुददे उठाये हैं।
इस मामले की सुनवाई के दौरान आज पीठ ने अटार्नी जनरल जानना चाहा कि इस मसले पर अब क्या स्थिति है और सरकार ने क्या कदम उठाये हैं।
पीठ ने कहा, हम समझते हैं कि आपने उचित कदम उठाये होंगे। अब क्या स्थिति है हम समझते हैं कि स्थिति में सुधार हुआ है। अटार्नी जनरल ने पीठ को भरोसा दिलाया कि स्थिति पहले से बेहतर है और सरकार दैनिक और घंटों के आधार पर स्थिति की निगरानी कर रही है। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण के निर्णय पर देश भर से वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिये एक समिति भी गठित की गयी है। पीठ ने जब यह पूछा कि अब तक आपने कितना धन एकत्र किया तो रोहतगी ने कहा कि छह लाख करोड रुपए से अधिक। इस पर पीठ ने कहा कि चलन से बाहर निकाली गयी मुद्रा का कुल मूल्य करीब 15 लाख करोड रुपए था। पीठ ने कहा, यदि आपको करीब दस लाख करोड रूपए मिल गये तो आप इसे सफल बतायेंगे।
रोहतगी ने कहा कि वह इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल करके उसमे जमा कराये गये धन का विवरण देंगे। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण के बाद डिजिटल तरीके से धन के लेन देन में भारी इजाफा हुआ है। रोहतगी ने न्यायालय से कहा कि देश में मुद्रा की कोई कमी नहीं है परंतु इसे देश के दूर दराज तक पहु्रंचाना कठिनाई का काम है।