नोटबंदी पर अब पीएम के आर्थिक सुरक्षा परिषद की सदस्य ने उठाये ये सवाल

नोटबंदी पर अब पीएम के आर्थिक सुरक्षा परिषद की सदस्य ने उठाये ये सवाल

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में पांच सौ और एक हज़ार के 99.3% प्रतिबंधित नोट वापस आने के खुलासे के बाद जहाँ विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है वहीँ अब प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य ने नोट बंदी को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाये हैं।

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य शमिका रवि ने नोटबंदी की प्रक्रिया को लागू करने के तरीके के अलावा दो हज़ार का नोट जारी किये जाने पर सवाल उठाये हैं।

शमिका रवि ने कहा कि दो हज़ार का नोट लाये जाने से बड़े मूल्य के नोट हटाए जाने का तर्क स्वयं में ख़ारिज हो जाता है। नोट बंदी के बाद आयकर रिटर्नदाताओं की तादाद में बढ़ोत्तरी होने को लेकर उन्होंने कहा कि क्या आपने यह गौर किया कि नोटबंदी के बाद कर अनुपालन बढ़ा है? आपको क्या लगता है कि यह क्यों हुआ होगा?

रवि ने रीयल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स कानून को भी युक्तिसंगत बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कर प्रणाली को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए, विशेषकर रीयल एस्टेट क्षेत्र में. क्या जीएसटी को आगे और अधिक तर्कसंगत बनाया जा सकता है।

इतना ही नही शमिका रवि ने कहा कि ‘मेरा मानना है कि ऐसा किया जा सकता है। कर अनुपालन का बोझ घटाया जाना चाहिए।’ वहीँ डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के मुद्दे पर रवि ने कहा कि रुपये की कमजोरी को देश की क्षमता में गिरावट के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।

याद दिला दें कि 8 नवंबर 2016 को देशभर में पांच सौ और एक हज़ार के नोटों को प्रतिबंधित कर दिया गया था। नोट बंदी लागू किये जाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे लोगों के पास जमा काला धन वापस आएगा। लेकिन रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नोट बंदी के दौरान प्रतिबंधित पांच सौ और एक हज़ार के करीब 99.3% नोट वापस आ गए।

रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के बाद विपक्ष नोट बंदी को लेकर सरकार की घेराबंदी कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से देश में नोट बंदी लागू की गयी थी।

कांग्रेस इस मामले में शुरू से यह दावा करती आ रही है कि नोट बंदी काला धन बाहर लाने के लिए नही बल्कि कुछ खास लोगों के काले धन को सफ़ेद करने के लिए लागू की गयी थी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नोट बंदी को एक बड़ा घोटाला बताते हुए जेपीसी बनाकर इसकी जांच कराये जाने की मांग की है।

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