नोटबंदी: दिल्ली से पलायन करने को मजबूर हुए बिहार सहित कई राज्यो के मजदूर
नई दिल्ली । दिल्ली में बिहार सहित कई राज्यो के मजदूरो का पलायन अब गति पकड़ने लगा है । नोटबंदी के बाद नगदी के अभाव के कारण निजी निर्माण के काम लगभग बंद हो चुके हैं । लोगों का कहना है कि बैंको में लंबी लाइन के चलते कैश नही मिल पा रहा ऐसे में मजदूरो को नगद मजदूरी कैसे दी जाए ।
नोटबंदी के चलते सिर्फ निजी निर्माण कार्य ही नहीं बल्कि छोटे लघु उधोगो में भी काम बंदी दर्ज की गयी है । नगद मजदूरी न दे पाने के कारण फेक्ट्री मालिक काम बंद करने को विवश हैं ।
बता दें कि दिल्ली में मजदूरी करने वाले अधिकाश लोग दूसरे राज्यो के हैं । जो अपने राज्यो से दिल्ली में रोज़गार की तलाश में आते हैं और दैनिक मजदूर के रूप में काम करते हैं । दिल्ली ही नहीं दिल्ली से सटे नोएडा, गुडगाँव और फरीदाबाद में भी नोटबंदी के संकट से जूझ रहे मजदूरो ने अपने अपने राज्यो के लिए पालें शुरू कर दिया है ।
रोजगार पर एनएसएसओ सर्वे के अनुसार दिल्ली में सन 2011-2102 के बीच दिल्ली की कामगार जनसंख्या 57.06 लाख दर्ज की गयी थी। वहीँ रोजगार निदेशालय व दिल्ली सरकार का आंकड़ा यह दर्शाता है कि 2009 में संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की संख्या 8.43 लाख थी। यह संख्या पिछले दशक में समान रही है। दिल्ली में असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या 48.63 लाख है जो कुल कामगारों का 85.33 फीसद है। 48.63 लाख कर्मचारी जो असंगठित कामगार हैं, उनपर बेरोजगारी की तलवार लटक रही है।
वहीँ दिल्ली कांग्रेस ने नोटबंदी से परेशान होकर पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों को रोकने के लिए दिल्ली सरकार से बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की है। एक संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने बताया कि इस बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण खुदरा बिक्री में 88.90 फीसद तक की कमी आई है।